Success Story: 4 साल की उम्र में हॉस्टल...13 साल में अनाथ, ऐसे बने टैक्स इंस्पेक्टर-UPSC में ​भी सेलेक्शन

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jun 24, 2024, 3:23 PM IST

Success Story: गुजरात के जामनगर निवासी आकाश चावड़ा जब तीन साल के थे। मां का देहांत हो गया। खाड़ी देश में नौकरी करने वाले पिता बेटे के साथ रहकर न तो उसे संभाल सकते थे और न ही अपने साथ विदेश में रख सकते थे।

Success Story: गुजरात के जामनगर निवासी आकाश चावड़ा जब तीन साल के थे। मां का देहांत हो गया। खाड़ी देश में नौकरी करने वाले पिता बेटे के साथ रहकर न तो उसे संभाल सकते थे और न ही अपने साथ विदेश में रख सकते थे। ऐसे में उन्होंने आकाश चावड़ा को 4 साल की उम्र में हॉस्टल में डालने का निर्णय लिया। वहीं पले-बढें। पर 13 साल की उम्र में पिता का भी देहांत हो गया। आकाश अनाथ हो गए। आप भी जानना चाहते होंगे कि फिर वह जिंदगी में कैसे आगे बढ़ें। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।

9वीं क्लास में पिता का देहांत, चचेरे भाई ने संभाला

दरअसल, आकाश जब हॉस्टल में ही रहकर 9वीं क्लास में पढ़ते थे। तभी एक दिन पता चला कि पिता का देहांत हो गया है। उन्हें लगा कि अब पूरा जीवन हॉस्टल में ही अनाथों की तरह गुजरेगा। ऐसी परिस्थिति में राजमिस्त्री का काम करने वाले उनके चचेरे भाई मदद के लिए आगे आएं। अपने घर ले जाकर आकाश की स्कूली पढ़ाई पूरी कराई और उनका ग्रेजुएशन कराया।

गुजराती मीडियम से स्कूली पढ़ाई, फिर इंजीनियरिंग

एक इंटरव्यू में आकाश कहते हैं कि चचेरे भाई ही उनके लिए सब कुछ थे। घर में बच्चों की तरह पालन-पोषण किया और पढ़ाया। गुजराती मीडियम स्कूल से पढ़ाई की और बाद में इंजीनियरिंग की डिग्री ली। तब वह दो कमरों के घर में रहते थे और वहीं से यूपीएससी प्रिपरेशन शुरू कर दी। आमतौर पर हजारो स्टूडेंट सिविल सर्विस ज्वाइन करने का सपना देखते हैं। पर कम ही लोगों को सक्सेस मिलती है। आकाश की यूपीएससी जर्नी भी आसान नहीं रही।

2023 में यूपीएससी में 1007वीं रैंक

साल 2019 के पहले प्रयास में मेंन्स तक पहुंचे आकाश को यूपीएससी में सक्सेस नहीं मिली तो निराश हुए। गुजरात पीसीएस के लिए तैयारी शुरू कर दी। साल 2020 और 2021 में लगातार दो बार असफल हुए। फिर उन्होंने यूपीएससी ग्रुप सी का एग्जाम दिया। साल 2022 में स्टेट टैक्स इंस्पेक्टर बने। तब एक बार फिर यूपीएससी प्रिपरेशन शुरू की। यूपीएससी 2023 में 1007वीं रैंक हासिल हुई। उनकी संघर्ष भरी यात्रा में यह बड़ी जीत थी। उनके चचेरे भाई की तपस्या भी सफल हुई।

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