यूपी के पीलीभीत जिले के रहने वाले आईएएस सूर्य प्रताप सिंह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। बरेली से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली। आर्मी में अफसर बनकर देश की सेवा करना चाहते थे। इसी मकसद से 2016 में संयुक्त रक्षा सेवा (CDS) एग्जाम दिया।
रोहतास। बिहार के रोहतास जिले में तैनात एसडीएम सूर्य प्रताप सिंह स्टूडेंट्स के जीवन में एजूकेशन की रोशनी भर रहे हैं। साल 2021 बैच के बिहार कैडर के आईएएस हैं। यूपीएससी में सेलेक्शन से पहले आईएएफ में सेलेक्ट हुए थे। ट्रेनिंग के दौरान चोट लगने की वजह से घर लौटना पड़ा तो हार नहीं मानी, बल्कि स्टूडेंट्स को ट्यूशन और कॅरियर कंसल्टेंसी देने लगें और उसी के साथ यूपीएससी की तैयारी पर ध्यान दिया।
2016 में CDS एग्जाम में सक्सेस
यूपी के पीलीभीत जिले के रहने वाले आईएएस सूर्य प्रताप सिंह चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। बरेली से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली। आर्मी में अफसर बनकर देश की सेवा करना चाहते थे। इसी मकसद से 2016 में संयुक्त रक्षा सेवा (CDS) एग्जाम दिया। उनका चयन भारतीय वायु सेना (IAF) की फ्लाइंग ब्रांच में हो गया। रिजल्ट आने के बाद मानो उनका सपना पूरा हो गया। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हैदराबाद में ट्रेनिंग चल रही थी। उसी दरम्यान साल 2017 में चोटिल हो गए तो प्रशिक्षण बीच में ही छोड़कर घर लौटना पड़ा।
चोटिल होने के बाद घर लौटें, पढ़ाने लगे ट्यूशन
आमतौर पर आर्मी अफसर की प्रतिष्ठित जॉब छोड़कर घर लौटना, अखरता है। यह निर्णय लेना आसान नहीं होता। वह भी उस सर्विस के लिए, जिसके एग्जाम में हर साल लाखो बच्चे अपना भाग्य आजमाते हैं। पर आईएएस सूर्य प्रताप सिंह निराश नहीं हुए। अब स्टूडेंट्स को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने के लिए गाइडेंस देने लगे। उनकी ट्यूशन क्लासेज और कॅरियर कंसल्टेंसी का काम चल पड़ा। उनके प्रयास से सीमित समय में लगभग 100 बच्चों का आर्म्ड फोर्सेज में चयन हुआ। पर उनका लक्ष्य कुछ और ही था। काम के साथ यूपीएससी एग्जाम की प्रिपरेशन शुरू कर दी।
सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हैं एसडीएम सूर्य प्रताप
आखिरकार उनका यूपीएससी में सेलेक्शन हो गया। बतौर आईएएस बिहार कैडर मिला। मौजूदा समय में रोहतास के डेहरी में एसडीएम हैं। अब भी बच्चों को एजूकेशन की राह दिखा रहे हैं। रोहतास जिले काफी समय तक नक्सलवाद से प्रभावित रहा। उसकी वजह से आम लोगों तक बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकी। सूर्य प्रताप सिंह ने इसको पहचाना। वह छुट्टियों के दिन सरकारी स्कूलों में जाते हैं और बच्चों को पढ़ाते हैं। वह छात्रों को स्थानीय भाषा में बातकर उत्साहित करते हैं। उनका मानना है कि एजूकेशन ही बच्चों के जीवन में बदलाव ला सकता है। गरीबी या संसाधनों के अभाव का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था। जिसमें वह सरकारी स्कूल में बच्चों के साथ जमीन पर बैठकर कविता सुन रहे हैं। उनके प्रयास की लोग तारीफ कर रहे हैं।
जहां चाह, वहां राह
आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने लिंक्डइन एकाउंट पर अपना अनुभवा साझा किया है। वह लिखते हैं कि पहली बार केवटी प्रखंड में ब्लॉक डेवलपमेंट आफिसर के पद ज्वाइन किया तो ई-ऑफिस का कार्यान्वयन करने में काफी दिक्कतें आईं। तब मैंने नहीं सोचा था कि हम इसे आगे बढ़ा पाएंगे। पर हम इसमे सफल हुए। अब कहीं से भी बैठकर आनलाइन फाइलों का निस्तारण किया जा सकता है। मतलब है कि 'जहां चाह, वहां राह।'