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कभी रेस्टोरेंट में ग्राहकों से लेते थे आर्डर, अब हैं IAS, पढ़िए जयगणेश की इंस्पिरेशनल स्टोरी

Rajkumar Upadhyaya |  
Published : May 30, 2024, 05:14 PM IST
कभी रेस्टोरेंट में ग्राहकों से लेते थे आर्डर, अब हैं IAS, पढ़िए जयगणेश की इंस्पिरेशनल स्टोरी

सार

तमिलनाडु के वेल्लोर के विन्नमंगलम के रहने वाले के जयगणेश कभी रेस्टोरेंट में कस्टमर से आर्डर लिया करते थे। अब आईएएस हैं। यूपीएससी के सातवें अटेम्पट में 156वीं रैंक हासिल की थी। संघर्षों से भरा जीवन जिया। घर की माली हालत ठीक नहीं थी।

नयी दिल्ली। तमिलनाडु के वेल्लोर के विन्नमंगलम के रहने वाले के जयगणेश कभी रेस्टोरेंट में कस्टमर से आर्डर लिया करते थे। अब आईएएस हैं। यूपीएससी के सातवें अटेम्पट में 156वीं रैंक हासिल की थी। संघर्षों से भरा जीवन जिया। घर की माली हालत ठीक नहीं थी। इसी वजह से वह जल्द से जल्द पढ़ाई कर नौकरी ज्वाइन करना चाहते थे। ताकि परिवार की मदद कर सकें। ए​क सिनेमा हाल में 2500 रुपये महीने पर नौकरी तक की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी।

गांव के स्कूल से आठवीं तक पढ़ाई

जयगणेश के पिता एक फैक्ट्री में बहुत की कम वेतन पर नौकरी करते थे। बचपन से ही घर की बदहाल आर्थिक स्थिति को देखकर वह दुखी रहते थे। गांव के ही स्कूल से आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की। एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में इस भरोसे के साथ दाखिला लियाा कि ग्रेजुएशन पूरी होने तक कहीं न कहीं जॉब मिल जाएगी। पॉलीटेक्निक से डिग्री लेने के बाद तंथी पेरियार इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए एडमिशन लिया। इसी दौरान शहर के एक सिनेमा हॉल में 2500 रुपये महीने की नौकरी मिल गई।

सिनेमा हॉल की नौकरी छोड़कर प्रिपरेशन

नौकरी मिलने के बाद के जयगणेश ने तय कि वह अब ऐसा प्रयास करेंगे। जिससे परिवार को गरीबी के दलदल से बाहर निकाला जा सके। आईएएस अधिकारी बनने का निर्णय लिया और सिनेमा हॉल की जॉब छोड़कर प्रिपरेशन में जुट गए। पर सबसे बड़ी चुनौती घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने की थी। जयगणेश ने चेन्नई के एक रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी शुरू कर दी। वहां वेतन तो काफी कम था। पर पढ़ाई के लिए समय मिल जाता था। 

वेटर की नौकरी, 6 अटेम्पट में लगातार फेलियर

जयगणेश ने कुछ समय बाद वेटर की नौकरी भी छोड़ दी और फुलटाइम यूपीएससी की तैयारी में जुट गए। उसमें भी उन्हें संघर्षों से होकर गुजरना पड़ा। पहले प्रयास में असफल रहें तो फिर दोबारा कोशिश की और इस तरह लगातार 6 अटेम्पट में जयगणेश को असफलता मिली। आमतौर पर लोग लंबे समय तक सफलता न मिलने से हार मान लेते हैं। पर वह लगातार एग्जाम की तैयारी में जुटे रहें और छोटे-मोटे काम करके परिवार को फाइनेंशियली सपोर्ट भी करते रहें। 

2008 में 156वीं रैंक

ऐसा नहीं कि जयगणेश को कहीं सफलता ही नहीं मिली। उनका इंटेलिजेंस ब्यूरो के एग्जाम में चयन  हो गया था। अब उनके सामने यक्ष प्रश्न उठ खड़ा हुआ कि नौकरी करें या फिर यूपीएससी की तैयारी। बहरहाल, उन्होंने यूपीएससी प्रिपरेशन का विकल्प चुना और साल 2008 में 156वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार का सपना पूरा किया। 

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