Navneet Anand Success story: मौजूदा दौर में ज्यादातर युवा अपने लक्ष्य पर फोकस नहीं कर पाते हैं। बिहार की नवनीत आनंद की सक्सेस स्टोरी ऐसे युवाओं को बड़ी सीख देती है। आर्थिक तंगी-कमजोरियों के बीच उन्होंने राई बनाई।
Success Story: बिहार के एक छोटे से गांव हरभंगा के रहने वाले नवनीत आनंद बचपन से सेना में अफसर बनना चाहते थे। पर आंखों से जुड़े हेल्थ इशू के चलते सपना पूरा नहीं हो सका तो वह अन्य लोगों की तरह हाथ पर हाथ रखकर बैठे नहीं और न ही किस्मत को कोसा, बल्कि नये विकल्प तलाशे। पहले CISF में असिस्टेंट कमांडेंट बनें और फिर 23 की उम्र में यूपीएससी क्रैक कर इतिहास रच दिया।
सड़क हादसे में हो गई थी पिता को खोया
नवनीत आनंद पूर्णिया जिले के एक छोटे से गांव से हैं। बचपन में एक सड़क हादसे में पिता की मौत हो गई थी। घर चलाने की जिम्मेदारी मॉं के कंधों पर आ गई। एक तरफ आर्थिक दिक्कत तो दूसरी ओर समाज का असंवेदनशील व्यवहार। ऐसे में लोग आगे बढ़ने से पहले ही हार मान लेते हैं। पर नवनीत आनंद अलग ही मिट्टी के बने थे। कठिनाइयों को दरकिनार कर आगे बढ़ते रहें और मनचाहा मुकाम हासिल किया।
21 साल की उम्र में CISF में असिस्टेंट कमांडेंट
उनकी शुरूआती पढ़ाई राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल से हुई। वह बचपन से नेशनल डिफेंस एकेडमी यानी एनडीए में जाना चाहते थे। पर मायोपिया की वजह से उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका तो वह बैठे नहीं, बल्कि नये विकल्प की तरफ बढ़ें और फिर दिल्ली से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जी जान से जुट गए। महज 21 साल की उम्र में CISF में असिस्टेंट कमांडेंट की नौकरी मिल गई। यूजीसी नेट जेआरएफ एग्जाम भी क्लियर किया। सीडीएस एग्जाम में भी सक्सेस मिली।
तीसरे अटेम्पट में यूपीएससी में 499वीं रैंक
नौकरी पाने के बाद भी नवनीत आनंद यूपीएससी प्रिपरेशन में लगे रहें। पहले दो प्रयास में सफलता नहीं मिली। प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं हो सका। पर उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि अपनी कमजोरियों को पहचान कर आगे बढ़ें। यूपीएससी 2023 के तीसरे प्रयास में महज 23 साल की उम्र में 499वीं रैंक हासिल की। उनकी कहानी दूसरों के लिए प्रेरणादायक है। जीवन में परेशानियों के बाद भी नवनीत आनंद ने अपनी राह बनाई।
Last Updated May 28, 2024, 3:06 PM IST