आमतौर पर आप खबर सुनते होंगे बिजनेस में नाकामी से किसी ने आत्महत्या कर लिया, तो कोई डिप्रेशन में चला गया। लेकिन ईश्वर सिंह ने अपनी नाकामी को अपनी हिम्मत बनाया और मैदान में डटे रहे। आज उनका छोटा सा स्टार्टअप जोधपुर का बड़ा नाम बन चुका है। अपनी 22 लाख की गाड़ी में ईश्वर हर रोज केक लेकर निकलते हैं और बेचते हैं पिछले चार-पांच महीना से ईश्वर यह काम कर रहे हैं और अब उनका काम में मुनाफा मिल रहा है।
जोधपुर के मेडिकल चौराहे के पास शाम के 5:00 बजे के बाद एक व्यक्ति लग्जरी गाड़ी के पास एक टेबल और एक चेयर लगाकर केक बेचता है। आने जाने वाले लोग हैरत से देखते हैं कि आखिर इतनी महंगी गाड़ी से उतरकर हर रोज 5 घंटे के लिए यह आदमी केक क्यों बेचता है। वहीं केक का जायका इतना शानदार होता है कि लोगों की भीड़ हमेशा वहां मौजूद रहती है । दरअसल इस शख्स का नाम ईश्वर सिंह है जिन्होंने अपना छोटा सा स्टार्टअप अक्टूबर में शुरू किया था। माय नेशन हिंदी से ईश्वर ने अपनी जर्नी शेयर किया।
कौन है ईश्वर सिंह
ईश्वर सिंह जोधपुर में रहते हैं उनके पिता भंवर सिंह फॉरेस्ट ऑफिसर थे जो कि रिटायर हो चुके हैं। बड़े भाई ठेकेदार हैं और दूसरा भाई एयरफोर्स से वीआरएस ले चुका है ।ईश्वर ने एमसीए किया है । दिल्ली में कोचिंग क्लासेस किये। 3 साल तक कई कॉम्पिटेटिव एक्जाम दिया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। दोबारा जोधपुर लौटे और जीरा मंडी में अकाउंट सेक्शन में नौकरी करने लगे इसी दौरान शादी हो गई। शादी के बाद ईश्वर पुणे शिफ्ट हो गया।
दुकान खोलना बंद करना बोरिंग काम
ईश्वर कहते हैं की पुणे में उनके ननिहाल के साइड के लोग रहते हैं जिनका ग्रोसरी का बिजनेस है। ईश्वर ने भी ग्रॉसरी का बिजनेस शुरू किया लेकिन बहुत जल्द उनका दिल इस काम से ऊब गया। इस बारे में वह कहते हैं कि मुझे हर रोज सुबह 8:00 बजे दुकान खोलना रात को बंद करना, इतना टाइम देना अच्छा नहीं लगता था। मेरी जिंदगी बोर हो चुकी थी इस रूटीन से। घूमने फिरने का टाइम नहीं मिलता था । इसलिए लॉक डाउन में उन्होंने इस काम को बंद कर दिया। इसी दौरान साल 2018 में ईश्वर का तलाक भी हो गया। और वो फिर जोधपुर लौट आए।
खोल लिया ढाबा
कुछ दिन जोधपुर में गुजारने के बाद ईश्वर अपने भाई के पास हैदराबाद चले गए और 3 महीने तक एक दोस्त के साथ रेस्टोरेंट में काम और 3 महीने तक एक दोस्त के साथ रेस्टोरेंट में काम किया। साल 2022 में ईश्वर ने हैदराबाद में एक ढाबा की ब्रांच खोली। जब उनके भाई ने एयरपोर्ट से रिटायरमेंट लिया तो यह काम उन्होंने अपने भाई को सौंप दिया और जोधपुर लौट आए इसके बारे में वह कहते हैं कि मैं बाहर जब भी रहता था मेरा दिल मेरे गांव में लगा रहता था।
22 लाख की गाडी बनी बिज़नेस पार्टनर
जोधपुर लौटकर ईश्वर ने कुछ दिन खेती किसानी किया लेकिन उनके दिमाग में स्ट्रीट फूड का आईडिया बैठा हुआ था। वह कहते हैं मैं इस बात को लेकर एकदम क्लियर था कि जब भी करूंगा स्ट्रीट फूड का ही काम करूंगा। साथ ही ईश्वर इंस्टा रील में न्यू स्टार्ट अप से बहुत प्रभावित थे लिहाजा उन्होंने तय किया कि वह अपनी 22 लाख की गाड़ी को अपना बिजनेस पार्टनर बनाएंगे । साल 2019 में ईश्वर ने एमजी हेक्टर कार खरीदी थी। इस कर में उन्होंने कुछ केक रखे टेबल चेयर रखा और जोधपुर के मेडिकल कॉलेज के गेट नंबर 2 के पास खड़े होकर केक बेचना शुरू किया। शुरुआत में जो लोग भी आते थे उनमें कुछ लोग केक खरीदते थे और कुछ लोग टेस्ट करके चले जाते थे। ईश्वर तीन केक के 24 पीस बनाते थे। लेकिन सब नहीं बिकता था और आज वह हाल है कि ईश्वर 40 पीस केक बनाते हैं और सब बिक जाता है।
हर रोज़ 4000 की कमाई
मुनाफे के बारे में ईश्वर कहते हैं हर रोज का हजार से ₹1200 बचता है। करीब 4000 का केक बिक जाता है लेकिन बनाने में ही ₹3000 लग जाते हैं क्योंकि केक बनाने में जो आइटम इस्तेमाल होता है वह महंगा होता है । ईश्वर के पास केक के 5 फ्लेवर है ओरियो, न्यूटेला, ब्लूबेरी चॉकलेट। केक की कीमत 120 रुपए से 160 के बीच में है।
फेमस हो गयी ईश्वर की स्टाल
ईश्वर कहते हैं कि सुबह 8:00 से वह केक बनाना शुरू कर देते हैं शाम के 4:00 बजे वह अपनी गाड़ी में समान रखते हैं और पहुंच जाते हैं मेडिकल कॉलेज के गेट पर शाम 5:00 बजे से रात के 10:00 बजे तक वह अपनी दुकान चलाते हैं। लोगों को हैरत की नजर से देखते हैं इसके बारे में ईश्वर कहते हैं कि लोगों के दिमाग में एक बात बैठी है कि स्ट्रीट फूड ठेले पर ही बिकता है। हम इसी मिथ को तोड़ना चाहते हैं। धीरे-धीरे जोधपुर में ईश्वर की छोटी सी शॉप की खूब चर्चा हो गई है।
मां की पड़ती है डांट
ईश्वर ने अपने स्टार्टअप का नाम रखा है चीज स्ट्रीट। ईश्वर ने बताया कि जब उन्होंने इस काम को करने के लिए अपने पेरेंट्स से कहा तो उन्हें किसी भी तरह का ऑब्जेक्शन नहीं झेलना पड़ा बल्कि उनके घर वालों ने उनका सपोर्ट किया। अक्सर वो अपने केक में परफेक्शन को लेकर मां से डांट भी खाते हैं। केक अगर खराब हो जाता है तो उनकी मां उनको डांटती हैं। उन्होंने केक बनाने की बाकायदा ट्रेनिंग लिया है तब इस बिजनेस में उतरे हैं अपनी स्टार्टअप से ईश्वर बहुत खुश हैं वह कहते हैं कि अक्टूबर में यह काम शुरू किया था और महज़ तीन से चार महीने में कस्टमर रिपीट होने लगे हैं।
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