स्कूल ड्राप आउट ये शख्स कभी कमाता था 400 रुपये, अब 187 करोड़ का कारोबार

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Nov 1, 2023, 11:35 PM IST

स्कूल ड्राप आउट एक शख्स जो कैलकुलेटर रिपेयर करके 400 रुपये महीने कमाता था। अब 187 करोड़ का कारोबार है। हम बात कर रहे हैं साइबर सिक्योरिटी सॉल्युशंस प्रोवाइडर कम्पनी क्विक हील के फाउंडर कैलाश काटकर की।

नई दिल्ली। स्कूल ड्राप आउट एक शख्स जो कैलकुलेटर रिपेयर करके 400 रुपये महीने कमाता था। अब 187 करोड़ का कारोबार है। हम बात कर रहे हैं साइबर सिक्योरिटी सॉल्युशंस प्रोवाइडर कम्पनी क्विक हील की। वैसे तो इस कम्पनी की शुरुआत दो भाइयों कैलाश काटकर और संजय काटकर ने मिलकर की थी। पर यह कम्पनी शुरु करने का आ​इडिया कैलाश काटकर के दिमाग की उपज थी। आइए जानते हैं कि बमुश्किल मैट्रिक पास शख्स ने कैसे खड़ा किया बिजनेस इम्पायर?

10वीं कक्षा के बाद 400 रुपये प्रतिमाह सैलरी पर जॉब

कैलाश काटकर का जन्म महाराष्ट्र के रहिमतपुर के एक साधारण परिवार में साल 1966 में हुआ था। पुणे में स्कूली पढ़ाई लिखाई हुई। 10वीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया। परिवार को आर्थिक मदद की दरकार थी तो कम उम्र में ही काम खोजने निकल पड़ें। साल 1985 में एक रेडियो और कैलकुलेटर रिपयेरिंग की शॉप में 400 रुपये प्रति माह की सैलरी पर नौकरी मिली। उनके पिता फिलिप्स में मशीन सेटर का काम करते थे। कैलाश ने अपने पिता को घर पर रिपेयरिंग का काम करते हुए देखा था।  

1991 में कैलकुलेटर रिपेयरिंग शॉप

कैलाश काटकर ने नौकरी करते हुए टेक्निकल फील्ड के बारे में जानकारी हासिल की और एकाउंटिंग सीखी। अपने भाई को 12वीं के बाद पढ़ाई जारी रखने की सलाह दी, उनकी कम्प्यूटर की पढ़ाई में आने वाले 5,000 रुपये की फीस भरने में मदद की। खुद साल 1991 में पुणे में 15 हजार रुपये इन्वेस्ट कर कैलकुलेटर रिपेयर शॉप खोली और बाद में अन्य मशीनों की भी रिपेयरिंग करने लगें। उन्हें एक इंश्योरेंस कम्‍पनी के मेंटीनेंस का कॉन्ट्रैक्ट मिला।

बिलिंग के लिए खरीदा 50 हजार का कंप्यूटर 

कैलाश काटकर एक बैंक में कैलकुलेटर रिपेयर करने जाते थे। पहली बार वहीं उन्होंने कंप्यूटर देखा। जल्द ही उन्हें समझ में आ गया कि आने वाला समय कंप्यूटर का है तो 50 हजार रुपये में कंप्यूटर खरीदा। उसका बिलिंग के लिए यूज करने लगे। आलम यह था कि लोग उनकी शॉप पर कंप्यूटर देखने आते थे।

1995 में लॉन्च किया पहला क्विक हील एंटीवायरस

यह वह दौर था। जब भारत में सॉफ्टवेयर मार्केट तेजी पकड़ रहा था। यह देखकर कैलाश ने साल 1993 में कंप्यूटर के मेंटीनेंस के लिए CAT कंप्यूटर सर्विसेज शुरु की। इसी दौरान उन्हें पता चला कि रिपेयरिंग के लिए आने वाले ज्यादातर कंप्यूटर वायरस से संक्रमित होते थे। तब उन्होंने अपने छोटे भाई संजय काटकर को एंटीवायरस सेक्टर पर फोकस करने के लिए कहा। बस, फिर क्या था, संजय ने अपनी पढ़ाई के दूसरे वर्ष में ही कंप्यूटर के वायरस को फिक्स करने के लिए एक प्रोग्राम डेवलप कर लिया और कैलाश काटकर ने अपनी शॉप में रिपेयरिंग के लिए आने वाले कंप्यूटर्स में उनका यूज करना शुरु कर दिया। साल 1995 में 700 रुपये में अपना पहला प्रोडक्ट क्विक हील एंटीवायरस लॉन्च किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

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