IIT या NIT से नहीं बल्कि गांव के इस लड़के ने बना डाली एक ही LED बल्ब से 3 अलग-अलग पॉवर की रोशनी

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 30, 2023, 10:46 PM IST

झारखंड के कामदेव पान आईआईटी या एनआईटी से पढ़े नहीं हैं, बल्कि गांव से ही शुरुआती पढ़ाई की। कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन पर भी यही लागू होता है। किसान के इस बेटे ने एक ऐसा एलईडी बल्ब बनाया है, जो तीन अलग-अलग पॉवर की रोशनी देता है।

रांची। झारखंड के कामदेव पान आईआईटी या एनआईटी से पढ़े नहीं हैं, बल्कि गांव से ही शुरुआती पढ़ाई की। कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन पर भी यही लागू होता है। किसान के इस बेटे ने एक ऐसा एलईडी बल्ब बनाया है, जो तीन अलग-अलग पॉवर की रोशनी देता है। माई नेशन हिंदी से बात करते हुए कामदेव पान कहते हैं कि एलईडी बल्ब साइड इनकम का रास्ता है। एक ही बल्ब में तीन अलग-अलग वाॅट हैं। मेरा बनाए हुए बल्ब में 15, 9 और जीरो वाॅट बल्ब भी हैं। स्विच के जरिए अलग-अलग पॉवर की रोशनी प्राप्त की जा सकती है। लोकल लोगों में इसकी काफी डिमांड है। शहर में पांच से छह जगह इसकी कैनोपी लगाते हैं। डेली बिक्री होती है। 

एक ही बल्ब देता है अलग अलग वॉट की रोशनी

सरायकेला के बासुरदा गांव के रहने वाले कामदेव पान का डिजाइन किया गया मल्टी वॉट एलईडी बल्ब स्विच से आपरेट होता है। स्विच ऑन-ऑफ करने पर 15, 9 और जीरो वॉट की रोशनी एक ही बल्ब से प्राप्त होती है। सामान्यत: घरों में लोग अलग-अलग समय के लिए अलग-अलग वॉट के बल्ब का इस्तेमाल करते हैं। पर किसान के बेटे का बनाया हुआ, एक ही मल्टी वॉट एलईडी बल्ब लोगों की अलग-अलग वॉट की रोशनी की जरुरतों को पूरा कर रहा है। उन्होंने कम कीमत में इन्वर्टर बल्ब भी बनाया है, जो टॉर्च की तरह यूज किया जा सकता है।

अभाव में गुजरा बचपन, रिपेयर करने लगे एलईडी बल्ब

दरअसल, कामदेव का बचपन अभाव में गुजरा। पढ़ाई के समय से ही वह इनोवेशन करते रहें। परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। इसी वजह से उन्हें स्थानीय बाजार में इमरजेंसी लाइट बेचने का काम करना पड़ा। उसी दौर में एलईडी बल्ब चलन में आया था। उन्होंने खराब हो चुके एलईडी बल्ब की सर्विसिंग का काम शुरु किया। पार्ट टाइम सिर्फ 5 रुपये में एलईडी बल्ब रिपेयर करने का काम करने लगे। यह वह दौर था, जब एलईडी बल्ब खरीदने के लिए लोग लाइन लगाते थे। 

मल्टी वॉट एलईडी बल्ब बनाने का कहां से आया आ​इडिया?

उस समय एलईडी बल्ब विभागों के जरिए बिकते थे। उनमें से रिप्लेसमेंट में भी काफी बल्ब आते थे, जो एक जगह इकट्ठा करके रखे जाते  थे। ऐसे ही एक लाख बल्बों की रिपेयरिंग का आर्डर कामदेव को मिला। यह काम करते करते उन्हें खुद का एलईडी बल्ब बनाने का ख्याल आया। उधर, बाजार में वह लोगों को अलग-अलग वॉट के एलईडी बल्ब खरीदते हुए देखते थे तो मल्टी वॉट एलईडी बल्ब बनाने का विचार आया और रिसर्च के बाद उसे तैयार कर मार्केट में बेचने लगे। 

कैसे यूज किया जाता है मल्टी वॉट एलईडी बल्ब?

कामदेव ने जो एलईडी बल्ब बनाया है। उसे ठीक उसी प्रकार यूज किया जा सकता है। जैसे-रेगुलेटर के जरिए पंखे की स्पीड घटाई-बढ़ाई जाती है, उसी तरह बल्ब में​ स्विच के जरिए रोशनी की पॉवर घटाई और बढ़ाई जा सकती है। स्थानीय बाजार में उसकी डिमांड है। आपको बता दें कि कामदेव पान बैटरी से चलने वाली साइकिल और बाइक भी बना चुके हैं।

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