Success Story: करनाल (हरियाणा) के रहने वाले मयंक कुंडू ने तीन बार यूपीएससी एग्जाम दिया। दो बार इंटरव्यू तक पहुंचे, सफल नहीं हो सकें तो यूपी पीसीएस एग्जाम में अपनी किस्मत आजमाई। पहले जिला युवा कल्याण अधिकारी और अब UP PCS क्रैक कर एसडीएम बने।
Success Story: करनाल के रहने वाले मयंक कुंडू उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UP PCS Exam 2023) परीक्षा में 15वीं रैंक हासिल कर एसडीएम बने हैं। वैसे साल 2020 में भी यूपी पीसीएस एग्जाम में 55वीं रैंक हासिल की थी। जिला युवा कल्याण अधिकारी बने थे। वर्तमान में सहारनपुर में पोस्टेड हैं। माय नेशन हिंदी से बातचीत में मयंक कुंडू कहते हैं कि साल 2017-2018 से ही सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी शुरु कर दी थी।
फुल टाइम नौकरी करते हुए जारी रखी तैयारी
जिला युवा कल्याण अधिकारी और जिला कमान्डेंट पीआरडी, सहारनपुर के पद कार्य करते हुए मयंक कुंडू ने अपनी तैयारी जारी रखी। उन्हें सीनियर अफसरों का काफी सहयोग भी मिला। वह कहते हैं कि 5 साल से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था तो पहले से ही अच्छा बेस बन गया था। आफिस के काम से मौका मिलता तो बस पहले की चीजों को रिवाइज करना होता था।
पंजाब यूनिवर्सिटी से BA LLB, दिल्ली से एमए
मयंक कुंडू की शुरुआती पढ़ाई करनाल से ही हुई। वहीं के एक कान्वेंट स्कूल से 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास की। पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से बीएएलएलबी ऑनर्स की डिग्री ली। फिर दिल्ली के स्कूल आफ इकोनॉमिक्स से एमए किया। साथ ही यूपीएससी की तैयारी भी शुरु कर दी। मयंक कहते हैं कि यूपीएससी के तीन अटेम्पट दिए। दो बार इंटरव्यू तक भी पहुंचा। पर सफलता नहीं मिली तो यूपी पीसीएस एग्जाम में ट्रॉय किया।
एसडीएम बनने की ख्वाहिश
मयंक कुंडू ने यूपी पीसीएस 2020 एग्जाम में 55वीं रैंक हासिल की थी। उन्हें जिला युवा कल्याण अधिकारी का पद मिला। नौकरी मिलने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। मयंक कहते हैं कि वह एसडीएम बनना चाहते थे और सिर्फ इसी पद के लिए आवेदन करने लगे। यूपी पीसीएस 2021 एग्जाम में ट्रॉय किया, पर सफलता नहीं मिली। उधर, उनकी ट्रेनिंग भी चल रही थी। इसलिए साल 2022 में एग्जाम नहीं दे सके। फिर यूपी पीसीएस 2023 में बैठे और 15वीं रैंक हासिल कर एसडीएम बने हैं।
खुद को मोटिवेट रखना सबसे बड़ी कला
मयंक कुंडू कहते हैं कि जब लगातार असफलता मिलती है तो खुद को मोटिवेट रखना ही सबसे बड़ी कला थी। बस जो चीज पानी थी। उसके लिए लगे रहे। एक लगन थी कि जब तक यह चीज नहीं मिलेगी। लगे रहेंगे। मतलब मान लिया था कि यह नहीं किया तो कुछ नहीं किया। कुंडू कहते हैं कि उनको परिवार को अच्छा सपोर्ट मिला। जिसकी बदौलत वह परीक्षा की तैयारी कर सके।
परिवार में पढ़ाई का माहौल
मयंक के पिता आरएस कुंडू एक पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल थे। उनकी मां निशा कुंडू भी रिटायर टीचर हैं। मयंक के भाई मनीष कुंडू नेवी में कमांडर हैं। उनकी बहन मोनिका कुंडू एक फॉर्मा कम्पनी में साइंटिस्ट हैं। पिता और मां के टीचिंग जॉब में होने की वजह से घर में हमेशा पढ़ाई का माहौल रहा।