लखनऊ की नसीम बानो की उम्र 62 साल है और वह 13 साल की उम्र से चिकनकारी कर रही है । उनके पिता हसन मिर्जा ने अनोखी चिकनकारी की ईजाद किया था जिसे बनाना सबके बस की बात नहीं है। अनोखी चिकनकारी को लेकर नसीम के पिता को भी राष्ट्रीय सम्मान मिला था और अब नसीम को पद्म श्री अवार्ड मिल रहा है।
लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके की नसीम बानो को सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। इतने बड़े सम्मान की घोषणा के बाद नसीम के घर के बाहर लोगों की भीड़ लग गई। दूर-दूर से लोग मुबारक बाद देने आने लगे। इस सम्मान और इस उपलब्धि के पीछे एक लंबा संघर्ष है इसके बारे में नसीम बानो ने माय नेशन हिंदी से शेयर किया
कौन है नसीम बानो
लखनऊ के ठाकुरगंज में नेपियर रोड कॉलोनी पार्ट 2 में नसीम अपने पति और बच्चों के साथ रहती हैं। उनका पूरा परिवार चिकन का काम करता है। उनके बेटे ने बीटेक किया है। चिकन के काम में नसीम के शौहर भी उनका हाथ बटाते हैं। पिछले 45 सालों से नसीम चिकनकारी का काम कर रही हैं।
पिता से सीखा चिकनकारी
नसीम कहती हैं मुझे दिल्ली से फोन आया और मुझे बताया गया कि मुझे पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस फोन कॉल के बाद मैंने अल्लाह का शुक्र अदा किया। मेरा पूरा घर बहुत खुश है और उसके बाद उन्होंने बताया अनोखी चिकनकारी के कारण नसीम को यह पुरस्कार दिया जा रहा है। चिकनकारी का यह हुनर नसीम ने अपने वालिद हसन मिर्जा से सीखा था। 62 साल की नसीम ने बताया की 13 साल से वह चिकनकारी का काम कर रही हैं। नसीम ने बताया कि केंद्र सरकार ने 1969 में उनके पिता को भी अनोखी चिकनकारी को लेकर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था।
क्या खासियत है नसीम की चिकनकारी की
नसीम कहती हैं "अनोखी चिकनकारी" की ईजाद उनके वालिद ने किया था जिसकी खासियत यह होती है की कढ़ाई करने पर कपड़े के नीचे के टांके नजर नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि एक कुर्ता बनाने में करीब ढाई से 3 महीने का वक्त लग जाता है। यह इतना बारीक काम होता है जिसमे मेहनत बहुत लगती हैं।
नौ देशों में दे चुकी हैं ट्रेनिंग
नसीम ने बताया कि वह अब तक 5000 लोगों को ट्रेनिंग दे चुके हैं इसके लिए उन्हें विदेश में भी बुलाया जाता है। उन्होंने अमेरिका, चिल्ली, न्यूयॉर्क, कनाडा, जैसे शहर में जाकर लोगों को अनोखी चिकनकारी के बारे में बताया और ट्रेनिंग दिया। वही लखनऊ के आसपास के इलाकों में भी नसीम ने तमाम लोगों को अनोखी चिकनकारी की ट्रेनिंग दिया है।
कारीगरों की आर्थिक सहायता के लिए उठाया आवाज़
चिकनकारी के कारीगरों की हालत को देखकर नसीम ने कई बार आवाज उठाया। उनका कहना है की हाथ की चिकनकारी बहुत मुश्किल होती है लेकिन कारीगरों को इतना पैसा नहीं मिलता है। बीच के दलाल पैसा खा जाते हैं मैंने कई बार कोशिश किया की सरकार इसमें किसी भी तरह से हमारी हेल्प करें लेकिन आज तक कोई मदद नहीं हो पाई
पहले भी मिल चुके हैं कई अवार्ड
नसीम ने बताया की उन्हें पहले भी इस काम के लिए कई अवार्ड मिल चुका है 1985 में 1988 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने नसीम को सम्मानित किया था। साल 2019 में उपराष्ट्रपति की ओर से उनके काम के लिए सम्मानित किया गया था।
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