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सहारनपुर की Civil Judge से इंस्पायर होकर मुजफ्फरनगर की आयशा ने क्वालीफाई किया PCS J

Published : Dec 10, 2023, 05:28 PM ISTUpdated : Dec 10, 2023, 09:10 PM IST
सहारनपुर की Civil Judge से इंस्पायर होकर मुजफ्फरनगर की आयशा ने क्वालीफाई किया PCS J

सार

मुजफ्फरनगर की आयशा ने एमबीए किया है लेकिन सहारनपुर की सिविल जज से इंस्पायर होकर उन्होंने तय किया कि वह भी सिविल जज बनेंगी। आयशा ने जी जान से तैयारी करना शुरू कर दिया। हर इम्तिहान को पास करते हुए आखिरकार आयशा ने PCSJ का एग्जाम दिया और फर्स्ट अटेम्प्ट में क्वालीफाई कर लिया।

मुजफ्फरनगर। चरथावल की बेटी आयशा परवीन सिविल जज बनी तो पूरे चरथावल में खुशी छा गई। आयशा ने PCS J में 623 रैंक हासिल किया। आयशा शुरू से ही पढ़ने में बहुत अच्छी थी। वैसे तो आयशा एमबीए करके बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में अपना कैरियर बनाना चाहती थी लेकिन एक घटना ने उनकी जिंदगी का रुख़ बदल दिया। अपनी जर्नी आयशा ने माय नेशन हिंदी से शेयर किया

कौन है आयशा परवीन
मुजफ्फरनगर के चरथावल के गांव दधेडूं कलां में अपने परिवार के साथ रहती है उनके पिता सुलेमान परिषदीय स्कूल से रिटायर्ड है।  आयशा चार बहने हैं तीन भाई हैं। उनके दो भाई इंजीनियर हैं और एक भाई मेडिकल की तैयारी कर रहा है जबकि उनकी मां हाउसवाइफ हैं।आयशा ने गांव के ही नेशनल जूनियर हाई स्कूल से साल 2010 में हाईस्कूल किया और 2012 में नवाब अजमत अली खान इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट पास किया। हायर एजुकेशन के लिए आयशा देहरादून पढ़ने चली गई और 2019 में उन्होंने एमबीए किया।




सिविल जज फरहा बनीं आयशा की प्रेरणा
एमबीए करने के बाद आयशा ने जब सहारनपुर की सिविल जज फरहा नाज़ के बारे में सुना तो उनसे इतना ज्यादा मुतासिर हुई कि आयशा ने तय कर लिया कि वह भी न्यायिक सेवा में जाएंगी। आयशा ने देहरादून के लिब्रा कालेज से एलएलबी करना शुरू किया और साथ ही पीसीएस जे की तैयारी करना शुरू कर दिया। आयशा ने एलएलएम का एग्जाम दिया और देहरादून से PCS J की 3 महीने की कोचिंग किया। कोचिंग के बाद आयशा ने PCS J का एग्जाम दिया।

पूरा हुआ आयशा का सपना
मेंस में इंटरव्यू के बाद अगस्त में जब रिजल्ट घोषित हुआ तो उसमें आयशा का एक नंबर कम रह गया था। आयशा ने रिचेकिंग के लिए आवेदन किया और दोबारा रिजल्ट घोषित हुआ तो आयशा ने 623 नंबरों के साथ PCS J क्वालीफाई कर लिया। आयशा के जज बनने की खबर से पूरे गांव में खुशी छा गई उनके घर पर लोगों का डाटा लग गया लोग मिठाई और फूलों की माला लाकर आशा के माता-पिता को बधाई देने लगे। आयशा ने बताया कि यह सफर इतना आसान नहीं था लेकिन खुद पर भरोसा था और मां-बाप का ख्वाब भी पूरा करना था इसके लिए उन्होंने 8 से 10 घंटे डेली पढ़ाई किया और आखिर अपने मकसद में कामयाब हो गई।

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