जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर की रहने वाली अहिंसा जैन ने साल 2015 से लगातार यूपीएससी के 6 अटेम्पट दिए। 4 बार इंटरव्यू तक पहुंची, 3 बार असफल होकर लौटीं। साल 2019 के पांचवें अटेम्पट में चौथी बार इंटरव्यू फेस किया। 164वीं रैंक हासिल हुई। IRS (इंडियन रिवेन्यू सर्विस) कैडर मिला। ट्रेनिंग के दौरान ही साल 2020 में छठवें अटेम्पट में सफल रहीं। आल इंडिया 53वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनीं। उनका यह स्ट्रगल प्रेरणादायक है। लगातार इंटरव्यू फेस करने के बाद भी मिली असफलता से हारी नहीं, बल्कि दोगुने जोश के साथ आगे बढ़कर लक्ष्य हासिल किया। आइए जानते हैं आईएएस अहिंसा जैन की सफलता की कहानी।

सिविल सर्विस में जाने के लिए मां से मिली ​प्रेरणा

अहिंसा जैन कहती हैं कि यूपीएससी की तैयारी को लेकर पहले उन्होंने लोगोंं से बात की तो पता चला कि यह एग्जाम काफी कठिन है। बहुत सी चीजों में कम्प्रोमाइज करने के साथ ज्यादा पढ़ाई करनी पड़ती है। मां हमेशा यूपीएससी की तैयारी के लिए मोटिवेट किया करती थी। स्प्रिचुअल बुक पढ़ना और मेडिटेशन करने की हैबिट ने उनको मोटिवेट रखा। बार—बार इंटरव्यू से असफल होकर वापस लौटने पर वह पॉजिटिव सोचती थी। उनका सबसे बड़ा मोटिवेशन भी यही था। वह सोचती थी कि जब वह इंटरव्यू तक पहुंच रही हैं तो इसका मतलब है कि वह अपने लक्ष्य के नजदीक हैं। थोड़े से ज्यादा प्रयास के बाद यूपीएससी में सेलेक्शन संभव है। यही सोच उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी।

मध्य प्रदेश बोर्ड से शुरुआती शिक्षा, यूके बेस्ड एमएनसी में नौकरी

आईएएस अहिंसा जैन की शुरुआती शिक्षा मध्य प्रदेश बोर्ड से हुई। पढ़ाई के दौरान प्रिंसिपल ने उनके पैरेंट्स से अहिंसा की पढ़ाई के बारे में बात की और कहा कि आपकी बच्ची बेहतर स्कूल डिजर्व करती है। फिर उनके पैरेंट्स ने अहिंसा का दाखिला आईसीएसई बोर्ड के स्कूल में करा दिया। जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज से ग्रेजुएशन किया। इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की डिग्री ली। यूके बेस्ड एमएनसी में नौकरी मिली और उन्होंने जॉब शुरु कर दी।

एमएनसी की जॉब छोड़ शुरु की यूपीएससी की तैयारी

आईएएस अहिंसा जैन की मां अर्चना जैन उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने के लिए प्रेरित करती थीं। जब वह नौकरी ज्वाइन करने के लिए बेंगलुरु जा रही थीं। तब भी उनकी मां ने अहिंसा से इस बारे में बात की। उनसे कहा कि पहले तय कर लो। जॉब करनी है या एग्जाम की तैयारी। बहरहाल, अहिंसा ने बेंगलुरु में जॉब ज्वाइन कर लिया। अपने सहकर्मियों से इस बारे में डिस्कस किया और जानकारी हासिल की तो मोटिवेट हुईं। तब उन्हें लगा कि ​प्राइवेट सेक्टर के बजाए यदि गवर्नमेंट सेक्टर में योगदान दें तो बेहतर होगा। इसी सोच के साथ उन्होंने जॉब छोड़ दी और साल 2015 में यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं।

फियर को ओवरकम कर बढ़ीं आगे

शुरुआती पढ़ाई के दिनों में जब अहिंसा जैन का दाखिला मध्य प्रदेश बोर्ड से आईसीएसई बोर्ड के स्कूल में हुआ था। तब उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा। शुरुआती महीनों में पढ़ाई में सामंजस्य बना पाना मुश्किल हो रहा था। वह इंग्लिश में कमजोर थीं तो डिक्शनरी की मदद से ट्रांसलेट कर पढ़ाई करती थीं। पिता मैथ पढ़ाते थे। मां ने उनकी अच्छी शिक्षा के लिए काफी स्ट्रगल किया। अहिंसा कहती हैं कि उस दौरान खुद से फाइट करना स्ट्रगल था। बहरहाल, वह अपने फियर को ओवरकम कर आगे बढ़ीं और लक्ष्य हासिल किया।

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