रेलवे स्टेशन पर लोगों का बोझ उठाने वाला कुली नंबर 343 कैसे बन गया IAS

By Kavish AzizFirst Published Sep 23, 2023, 8:18 PM IST
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हर साल यूपीएससी परीक्षा में हजारों छात्र अपना भविष्य बनाने के लिए बैठते हैं। इस परीक्षा के लिए वह महंगी महंगी किताबें और कोचिंग इंस्टिट्यूट पर बेतहाशा पैसा खर्च करते हैं। सालों इस परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग इंस्टिट्यूट में छात्रों का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे एस्पायरेंट की कहानी बताएंगे जो रेलवे स्टेशन के वाई-फाई का इस्तेमाल करके कुली से एक आईएएस अधिकारी बन गया।

केरला। कुली नंबर 343, यही पहचान थी श्रीनाथ की। एनार्कुलम रेलवे स्टेशन पर दिनभर श्रीनाथ लोगों के लगेज उठाते थे और इस काम से 300 से ₹400 कमा लेते थे। घर परिवार का खर्चा इसी काम के सहारे चल रहा था लेकिन एक दिन वह हुआ जिसके बारे में किसी ने सोचा भी ना था। लोगों का बोझा ढोते ढोते कुली नंबर 343 अधिकारी बन गया। आईए जानते हैं श्रीनाथ के संघर्ष की कहानी डिटेल में ।

परिवार के  इकलौते  कमाने वाले थे श्रीनाथ
श्रीनाथ का जन्म केरल के मुन्नार में साल 1991 में एक गरीब परिवार में हुआ, उनके पिता मजदूरी करते थे, परिवार में मां-बाप पत्नी और एक बेटी है। पांच लोगों के भरण पोषण की जिम्मेदारी श्रीनाथ पर थी। 22 साल की उम्र में श्रीनाथ ने एर्नाकुलम रेलवे स्टेशन पर कुली की नौकरी कर ली। उनका कुली नंबर 343 था। मुन्नार के ही लोकल स्कूल से श्रीनाथ ने हाई स्कूल और इंटर किया। कुली की नौकरी से श्रीनाथ हर रोज 300 से ₹400 कमा लेते थे लेकिन इतने पैसे में वह अपनी बेटी को अच्छा भविष्य नहीं दे सकते थे।



 

ऑनलाइन लेक्चरर्स सुनकर तैयारी के श्रीनाथ ने
साल 2016 में मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर सरकार ने फ्री वाई-फाई देने की घोषणा किया। इसी फैसले ने श्रीनाथ की जिंदगी कभी फैसला किया। श्रीनाथ ने पैसा जोड़-जोड़ कर एक मोबाइल खरीदा और तय किया कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करेंगे। हालांकि यह फैसला बहुत मुश्किल था क्योंकि श्रीनाथ के पास ना तो किताबें खरीदने के पैसे थे ना कोचिंग इंस्टिट्यूट जाने के। रेलवे स्टेशन पर श्रीनाथ दो शिफ्ट में काम करते थे।  खाली वक्त में श्रीनाथ ने अपने मोबाइल में यूपीएससी एस्पायरेंट्स का वीडियो देखना शुरू किया और ऑनलाइन कोर्सेज के जरिए पढ़ाई शुरू कर दिया।


बिना किसी कोचिंग के श्रीनाथ ने क्वालीफाई किया यूपीएससी
UPSC  क्वालीफाई करने के लिए हर साल हजारों की तादाद में स्टूडेंट्स अपनी किताबों और कोचिंग इंस्टिट्यूट पर पैसा पानी की तरह बहाते हैं। कई साल कोचिंग इंस्टिट्यूट की फीस देकर रिजल्ट में कामयाबी हासिल करते हैं। श्रीनाथ के पास ऐसा कुछ भी नहीं था। उन्होंने मेहनत और लगन से रेलवे स्टेशन के वाई-फाई के जरिए अपने एग्जाम की तैयारी की अपनी कड़ी मेहनत और लगन से श्रीनाथ ने KPSC की परीक्षा पास कर ली।
परीक्षा के बाद उन्हें रोजगार तो मिल गया, लेकिन उनकी ख्वाहिश अभी अधूरी थी। श्रीनाथ ने UPSC  की तैयारी शुरू कर दी।  तीन बार श्रीनाथ यूपीएससी में असफल हुए लेकिन उनके इरादे मजबूत थे और चौथे अटेम्प्ट में साल 2018 में  श्रीनाथ ने यूपीएससी क्वालीफाई किया।

 

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