राजस्थान। युवा पीढ़ी उस मुहावरे को चैलेन्ज कर रही है जिसमे ये कहा गया था की 'राजा का बेटा ही राजा बनता है '  अब गरीब के बच्चे राजा बन रहे हैं , जी हां UPSC के रिज़ल्ट में रजथान के भरतपुर की बेटी ने अपने पिता की मेहनत को जाया नहीं होने दिया।  ठेला लगाने वाले पिता की बेटी दीपेश कुमारी अफसर बन गयी। 

 कौन है दीपेश कुमारी 

भरतपुर जिले के एक कंकड़ वाली कुईया के पास रहने वाले दीपेश कुमारी ने UPSC परीक्षा में  93वीं रैंक हासिल कर पूरे जिले का नाम रोशन किया। दीपेश के पिता गोविन्द सांक का ठेला लगते हैं और उसी ठेले की कमाई से  दो बेटी तीन बेटी और पत्नी के साथ एक छोटे से घर में जीवन यापन कर रहे हैं। गरीबी होने के बावजूद गोविन्द ने अपने बच्चों को खूब पढ़ाया लिखाया और उनको काबिल बनाया। गोविन्द नहीं चाहते थे की उनके बच्चे उनकी तरह ठेला चलाए।  गोविन्द ने अपने पांचों बच्चों को खूब पढ़ाया और आज उसी ठेले की कमाई से गोविन्द की एक बेटी IAS Officer बन गयी। 



स्कॉलरशिप से किया पढाई 
 पांच भाई बहनो  में दीपेश कुमारी सबसे बड़ी हैं । दीपेश ने दसवीं तक की पढ़ाई भरतपुर शहर के शिशु आदर्श विद्या मंदिर से की। दीपेश ने दसवीं में  98% अंक और 12वीं में  89% अंक हासिल किया था। दीपेश पढ़ने में अच्छी थीं  इस कारण उन्हें  हर जगह स्कॉलरशिप मिलती चली गयी। उसी का सहारा लेकर दीपेश ने  आगे की पढ़ाई की। दीपेश ने  जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की और फिर आईआईटी मुंबई से एमटेक की पढ़ाई किया और  एक साल तक प्राइवेट कंपनी में जॉब किया। 

दूसरे अटेम्प्ट में क्रैक किया UPSC
साल 2019 में दीपेश के पिता ने यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली भेज दिया जहां दीपेश दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर में शामिल हुई थी, लेकिन कोविड लॉकडाउन के कारण वह घर वापस आ गई और घर से तैयारी की। पहली बार में वह UPSC एग्जाम का इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाई थीं। दीपेश ने हार नहीं मानी और दूसरे प्रयास में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में UPSC क्लियर कर 93वीं रैंक हासिल की।  जब बेटी का रिज़ल्ट आया  तब दीपेश के पिता  काम पर  थे, लोगों ने बधाई देना शुरू किया तब उन्हें पता चला की बिटिया IAS बन गयी है। 

पिता आज भी चलाते हैं ठेला 

दीपेश के पिता पिछले 25 वर्षों से ठेले पर सांक  बेच रहे हैं। यूपीएससी का परिणाम जीवन भर के संघर्ष का इनाम लेकर आया और उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। तब से उनकी पत्नी के खुशी के आंसू नहीं रुक रहे हैं.दीपेश के दो भाई लातूर और एम्स गुवाहाटी एमबीबीएस कर रहे हैं, तो वहीं बहन डॉक्टर है। एक भाई पिता के काम में हाथ बंटाता है। 

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