IFS Ramya Chandrasekaran: पिता की आकस्मिक मौत के बाद परिवार की जिम्मेदारी। तीन साल नौकरी फिर यूपीएससी की तैयारी। पांच बार फेलियर, फिर कैसे आईएफएस अफसर बनीं राम्या राम्या चंद्रशेखरन?
UPSC Success Story: यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) एग्जाम में हर साल लाखों अभ्यर्थी शामिल होते हैं। पर सफलता कम लोगों को नसीब होती है। यह जर्नी उतार—चढ़ाव से भरी होती हैं। ऐसी कठिनाईयों से जूझकर तमिलनाडु के कोयंबटूर की रहने वाली राम्या चंद्रशेखरन ने यूपीएससी 2021 में 46वीं रैंक हासिल कर आईएफएस बनीं। उसके पहले पांच अटेम्पट में प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं हो सका था। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।
IGNOU से एमबीए
राम्या का परिवार कोयंबटूर के रामनगर कट्टूर में रहता है। पलक्कड़ के रहने वाले आर मुथुलक्ष्मी और आर चंद्रशेखर की इकलौती बेटी हैं। कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और इग्नू (IGNOU) से एमबीए किया। पिता की अचानक मौत हो गई तो परिवार की जिम्मेदारी संभाली। बेंगलुरु की एक कंपनी में तीन साल तक काम किया। सिविल सर्विस ज्वाइन करने का विचार आया तो यूपीएससी प्रिपरेशन के लिए साल 2017 में जॉब छोड़ दी।
छठें अटेम्पट में AIR 46वीं रैंक
राम्या ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। पैसों की दिक्कत हुई तो डेटा एंट्री ऑपरेटर का भी काम किया। यह सब इतना आसान नहीं था। उनकी यूपीएससी जर्नी तब और कठिन हो गई। जब लगातार 5 बार उनका प्रीलिम्स (यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा) ही क्लियर नहीं हो सका। पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपनी कमियों से सीखते हुए आगे बढ़ती रहीं। छठें अटेम्पट में AIR 46वीं रैंक हासिल की। राज्य में उनकी दूसरी रैंक थी। मौजूदा समय में बतौर IFS (भारतीय विदेश सेवा) अधिकारी काम कर रही हैं।
सीखना कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया
वह अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लिखती हैं कि सिविल सेवा एग्जाम की प्रिपरेशर करना एक जर्नी थी। इसे पास कर भारतीय विदेश सेवा हासिल करना सोने पर सुहागा। अभी ग्लोबल अफेयर, विभिन्न संस्कृतियों, सरकारी प्रक्रियाओं और कूटनीति को समझना है और इन्हें प्रयोग कर महारत हासिल करना शेष है। सीखना एक कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है। मेरी लर्निंग की यात्रा जारी है।