एक-दो बार नहीं, 9 बार असफल फिर खड़े हुए, आज 1.98 लाख करोड़ का इम्पायर: ये है अनिल अग्रवाल की कहानी

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Aug 24, 2023, 4:27 PM IST
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आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कॉलेज का मुंह तक नहीं देखा, पर आज कैम्ब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को संबोधित करने जाते हैं। आईआईटी या आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई भी नहीं की। पर 1.98 लाख करोड़ की कम्पनी चलाते हैं।

 पटना। आज हम आपको एक ऐसी शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कॉलेज का मुंह तक नहीं देखा, पर आज कैम्ब्रिज जैसी यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को संबोधित करने जाते हैं। आईआईटी या आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई भी नहीं की। पर 1.98 लाख करोड़ की कम्पनी चलाते हैं। उनकी कम्पनी में भी पेशेवर लोग काम करते हैं। मौजूदा देशों में कई देशों में कारोबार फैला है। हम बात कर रहे हैं वेदांता ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की। आइए डिटेल में जानते हैं उनके बारे में। 

कौन हैं अनिल अग्रवाल?

वेदांता ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) देश के नामी गिरामी बिजनेसमैन में गिने जाते हैं। साधारण परिवार में जन्मे अनिल अग्रवाल ने पटना से मुंबई होते हुए लंदन तक अपना बिजनेस फैलाया। दुनिया के कई देशों में माइनिंग और मेटल बिजनेस का साम्राज्य खड़ा करने वाले अनिल अग्रवाल ने अपना कॅरिअर स्क्रैप डीलर के तौर पर शुरू किया था। 

अनिल अग्रवाल ने मुंबई में देखा मुश्किल वक्त

अनिल अग्रवाल कहते हैं कि जब पहली बार मैं मुंबई आया था तो बहुत मुश्किल वक्त देखा। पर मुझे हमेशा से यह पता था कि मैं कुछ बड़ा करना चाहता हूॅं। कई लोगों ने उस समय मेरी मदद की। कभी अपने शब्दों से तो कभी अपने छोटे-छोटे कामों से। उधार पर चाय पिलाने वाले भैया से लेकर सिंडिकेट बैंक के सेवादार तक, सबने मुझे गाइड किया, जब मुझे बिजनेस के लिए लोन की जरुरत थी। उन छोटी छोटी चीजों ने मुझे विश्वास दिलाया कि मेरा बिजनेस का सपना सच हो सकता है। आज मैं जो कुछ भी हूं, सिर्फ उन लोगों की वजह से ही हूॅं।

 

अनिल अग्रवाल ने किस कॉलेज से की पढ़ाई?

अनिल अग्रवाल कहते हैं कि यदि आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं, जो इंटरप्रेन्योरशिप की यात्रा पर है, तो उन्हें किसी भी तरह से सशक्त बनाने की कोशिश करें। एक ऐसा व्यक्ति जो कभी कॉलेज नहीं गया। उसे कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने बुलाया और मैंने छात्रों को संबोधित किया। यह किसी सपने से कम नहीं था। जब मैं उन छात्रों की उम्र का था, तो थोड़ा अजीब और शर्मीला था। टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलता था। छात्रों के आत्मविश्वास को देखकर मुझे बहुत प्रेरणा मिली।

अनिल अग्रवाल ने कैसे स्थापित की कम्पनी

अनिल अग्रवाल कहते हैं कि जब मुझसे पूछा गया कि आपने अपनी कम्पनी कैसे स्थापित की? कैसे मैं बड़ी व्यापारिक डील करने में सफल रहा? इन सभी सवालों का जवाब मेरी असफलताओं में रहा है। मैंने अपने 20 से 30 साल दूसरों को संघर्ष करते हुए देखा। सोचता था कि मैं उस मुकाम तक कब पहुंचूंगा। 9 असफल बिजनेस और वर्षों अवसाद के बाद पहला सफल स्टार्टअप शुरु किया।

क्या चीज आपको दूसरों से अलग बनाती है?

अनिल अग्रवाल कहते हैं कि मैंने छात्रों से कहा कि कभी हार मत मानो। सफल होने के लिए किसी डिग्री, बैकग्रांड या अच्छी इंग्लिश की जरुरत नहीं है। ये चीजें मदद करती हैं, पर सपनों के प्रति आपकी जिद, आपको दूसरों से अलग बनाएगी...जिद्दी बनो, निडर बनो।

सफलता के लिए क्या है सही समय?

अनिल अग्रवाल कहते हैं कि समाज में यूथ पर कम उम्र में ही सफल होने का दबाव होता है। मैं इसे समझता हूॅं। जीवन में एक-दो बार नहीं, बल्कि 9 बार असफलता देखी। बंद होने की कगार पर खड़ी फैक्ट्रियों में रातें की नींद हराम करने से लेकर अगले दिन के अस्तित्व के बारे में सोचने तक का समय देखा है। अपने 20 और 30 के दशक में बहुत संघर्ष किया है। 

40 की उम्र में स्टार्टअप

अनिल अग्रवाल कहते हैं कि मेरा पहला स्टार्टअप 40 की उम्र में सफल हुआ। जिन आईडिया को लोग पहले बुरा कहते थे, उनको प्रशंसा मिलने लगी। खुद के विचारों पर भरोसा करें। भले ही दूसरे लोग उस पर संदेह कर रहे हों। 

20-30 की उम्र में संर्घषरत हैं, तो निराश न हों, पिक्चर अभी बाकी है

अफसलताओं को सीढ़ी के रूप में अपनाएं। कछुए और खरगोश की कहानी याद रखें। धीरे धीरे और स्थिर तरीके से दौड़ कर जीता जा सकता है। यदि आपकी उम्र 20 और 30 के बीच में है और आप संघर्ष कर रहे हैं, तो याद रखें कि पिक्चर अभी बाकी है। 

 

अनिल अग्रवाल की डेट ऑफ बर्थ क्या है? 

अनिल अग्रवाल का जन्म 1954 में पटना के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनके पिता द्वारका प्रसाद अग्रवाल एल्युमिनियम कंडक्टर का छोटा सा कारोबार करते थे। 

अनिल अग्रवाल ने कहां से की स्कूलिंग? 

अनिल अग्रवाल ने मिलर हाईस्कूल, पटना में स्टडी की और यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के बजाए अपने पिता के व्यवसाय में शामिल होने का फैसला किया। मात्र 19 साल की उम्र में अनिल अग्रवाल कॅरियर के अवसरों का पता लगाने के लिए पटना से मुंबई गए।

अनिल अग्रवाल ने कब शुरु किया व्यापार?

अनिल अग्रवाल ने साल 1970 के दशक के मध्य स्क्रैप का कारोबार शुरु किया। दूसरे राज्यों की केबल कम्पनियों से स्क्रैप लेकर मुंबई में बेचने का काम किया। 

अनिल अग्रवाल ने कब किया शमशेर स्टर्लिंग कॉरपोरेशन का अधिग्रहण?

अनिल अग्रवाल ने साल 1976 में बैंक से लोन लेकर तामचीनी तांबे की निर्माता कम्पनी शमशेर स्टर्लिंग कॉर्पोरेशन का अधिग्रहण किया और अगले 10 साल तक दोनों बिजनेस चलाएं।

अनिल अग्रवाल ने कब बनाई स्टरलाइट इंडस्ट्रीज?

अनिल अग्रवाल ने साल 1986 में जेली से भरे केबेल बनाने के लिए कारखाना खोला और स्टरलाइट इंडस्ट्रीज का निर्माण हुआ। जल्दी ही उन्हें महसूस हुआ कि उनके कारोबार में लाभ अस्थिर था, क्योंकि कच्चे माल के रूप में उपयोग में आने वाले तांबे और एल्यूमीनियम की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव रहता था। इसलिए धातुओं को खरीदने के बजाय उनके निर्माण पर ध्यान दिया। ताकि लागत को कम किया जा सके। 

अनिल अग्रवाल ने कब किया मद्रास एल्युमीनियम का अधिग्रहण?

साल 1993 में स्टरलाइट इंडस्ट्रीज कॉपर स्मेल्टर और रिफाइनरी स्थापित करने वाली भारत की पहली प्राइवेट कम्पनी बनी। फिर 1995 में 4 साल से बंद एक बीमार कम्पनी मद्रास एल्युमीनियम का अधिग्रहण किया। 

अनिल अग्रवाल ने कब किया भारत एल्युमीनियम कम्पनी का अधिग्रहण?

अनिल अग्रवाल ने साल 2001 में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारत एल्युमीनियम कंपनी (बाल्को) में 51 प्रतिशत शेयर खरीदें। उस समय यह कम्पनी अक्षम खनन कम्पनी के रूप में जानी जाती थी।

अनिल अग्रवाल ने कब किया हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड का अधिग्रहण?

अनिल अग्रवाल ने अगले ही साल हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में लगभग 65 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली। उस समय हिंन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की बीमारू फर्म में गिनती होती थी।

अनिल अग्रवाल ने कब लंदन में शुरु किया कारोबार?

अनिल अग्रवाल ने साल 2003 में लंदन में वेदांत रिसोर्सेज पीएलसी को लिस्टेड कराया। लंदन स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने वाली यह पहली भारतीय फर्म थी और यह वेदांता समूह की मूल कम्पनी बन गई।

अनिल अग्रवाल की नेटवर्थ कितनी है?

अनिल अग्रवाल कभी कॉलेज नहीं गए। पर आज 1.98 लाख करोड़ की कम्पनी चलाते हैं। फोर्ब्स के अनुसार, उनकी निजी संपत्ति 16,400 करोड़ रुपये है। परिवार की कुल संपत्ति 32 हजार करोड़ से ज्यादा है। 
 

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