भारत का चंद्रयान-2 अब चांद की कक्षा से थोड़ी ही दूरी पर रह गया है। बुधवार को इसे चंद्रमा के परिपथ(ल्यूनर ट्रांसफर ट्रांजेक्टरी) पर डाल दिया गया है। अगले चार दिनों में यह चांद की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा।
नई दिल्ली : भारत का चंद्रयान 7 सितंबर को चंद्रमा की उस सतह पर उतरेगा, जहां आज तक कोई नहीं पहुंचा था। भारत का दूसरा चंद्रमा मिशन ‘चंद्रयान-2’ बुधवार को पृथ्वी की कक्षा छोड़ कर चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है।
बुधवार को बदला गया था रास्ता
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने इसे चंद्रपथ पर डालने के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान प्रक्रिया को अंजाम दिया। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की जानकारी के मुताबिक उसने भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के दो बजकर 21 मिनट पर अभियान प्रक्रिया ‘ट्रांस लूनर इंसर्शन’ (टीएलआई) को अंजाम दिया। इसके बाद चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक ‘ल्यूनर ट्रांसफर ट्राजेक्टरी’ में प्रवेश कर गया।
इसरो ने ट्वीट करके बताया कि ‘आज (14 अगस्त 2019) ट्रांस लूनर इंसर्शन (टीएलआई) प्रक्रिया के बाद चंद्रयान-2 धरती की कक्षा से निकलेगा और चंद्रमा की ओर अपने कदम बढ़ाएगा।’
सात सितंबर को उतरेगा चांद पर
इस अहम प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद चंद्रयान-2 के 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने और सात सितंबर को इसकी सतह पर उतर सकता है। इसरो ने बताया कि ‘पृथ्वी के आसपास चंद्रयान की अंतिम बार कक्षा बढ़ाने के दौरान करीब 1203 सेकंड के लिए लिक्विड इंजन का उपयोग किया गया। इसके साथ ही चंद्रयान-2 लूनर ट्रांसफर ट्राजेक्टरी में प्रवेश कर गया।’
इसरो अब तक ‘चंद्रयान-2’ को पृथ्वी की कक्षा में ऊपर उठाने के पांच प्रक्रिया चरणों को अंजाम दे चुका है। पांचवें प्रक्रिया चरण को छह अगस्त को अंजाम दिया गया था।
बिल्कुस सही तरीके से काम कर रही है प्रणालियां
इसरो ने कहा, ‘‘22 जुलाई को इसके प्रक्षेपण से लेकर अब तक चंद्रयान-2 की सभी प्रणालियां सामान्य रूप से काम कर रही हैं।’’ वैज्ञानिकों के मुताबिक चंद्रयान-2 20 अगस्त को चंद्रमा के निकट पहुंचेगा और इसे चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कराने के लिए फिर से लिक्विड इंजन का उपयोग किया जाएगा।
सबसे शक्तिशाली रॉकेट से प्रक्षेपण
देश के कम लागत वाले अंतरिक्ष कार्यक्रम को पंख लगाते हुए इसरो के सबसे शक्तिशाली तीन चरण वाले रॉकेट जीएसएलवी-एमके3-एम1 ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था।
इसरो रच देगा इतिहास
इसरो के अनुसार 13 दिन बाद लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो जाएगा और कुछ दिनों बाद सात सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चांद के इस हिस्से पर अभी तक कोई देश नहीं पहुंचा है। इस अभियान की सफलता के बाद रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा।