हालांकि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद पर कहां हैं, इस बात का पता अभी नहीं चल पाया है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले तीन दिनों में इस रहस्य से पर्दा उठ सकता है।
नई दिल्ली: विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कहां हैं और किस हाल में हैं, फिलहाल यह सबसे बड़ा राज बना हुआ है। लेकिन अगले तीन दिनों में इस रहस्य से पर्दा उठ सकता है। क्योंकि हमारा चंद्रयान-2 बिल्कुल सुरक्षित है और वह चांद की कक्षा में सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है।
अगले तीन दिनों में वह फिर से उसी स्थान पर से गुजरेगा, जहां पर विक्रम लैंडर को उतारने की कोशिश की गई थी। वैज्ञानिकों ने बताया है कि इस काम के लिए उन्हें ऑर्बिटर के 3 उपकरणों की मदद लेनी होगी। इनके नाम हैं सिंथेटिक अपर्चर रेडार, आईआर स्पेक्ट्रोमीटर और कैमरा। इन तीन उपकरणों की मदद से 10 x 10 किलोमीटर के इलाके की बारीकी से छानबीन की जाएगी। पूरे इलाके की हाई रेजॉल्यूशन तस्वीरें भी ली जाएंगी। जिनसे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की स्थिति के बारे में पता चल पाएगा।
हालांकि वैज्ञानिकों ने यह भी खुलासा किया है कि अगर विक्रम लैंडर नीचे गिरकर टुकड़े टुकड़े हो गया होगा तो उसका पता लगाना मुश्किल होगा। लेकिन इन हालातों में भी उसके मलबे की फोटो ली जा सकती है।
इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने भी पहले जानकारी दी थी कि अगले 14 दिनों तक लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की लगातार कोशिश होती रहेगी। इसरो की टीम लगातार मिशन के काम में जुटी हुई है। के. सिवन ने यह भी जानकारी दी है कि लैंडर विक्रम के मिलने की अब भी संभावना है। उन्होंने कहा, 'ऑर्बिटर की उम्र साढ़े 7 सालों से ज्यादा है, न कि 1 साल, जैसा कि पहले बताया गया था। इसकी वजह है कि उसके पास बहुत ज्यादा ईंधन बचा हुआ है। ऑर्बिटर पर लगे उपकरणों के जरिए लैंडर विक्रम के मिलने की संभावना है।'
चंद्रमा पर लैंड करने से ठीक पहले चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का इसरो स्टेशन से संपर्क टूट गया था। लेकिन चंद्रमा का चक्कर काट रहे ऑर्बिटर पर लगे अत्याधुनिक उपकरणों से जल्द ही इन सभी सवालों के जवाब मिल सकते हैं।