मराठा आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पास: शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मिलेगा 10 प्रतिशत आरक्षण

By rohan salodkar  |  First Published Feb 20, 2024, 4:34 PM IST

महाराष्ट्र में मराठाओं को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत का स्वतंत्र आरक्षण मिलेगा। मराठा आरक्षण विधेयक 2024 महाराष्ट्र विधान सभा में सर्वसम्मत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में 50% की आरक्षण सीमा के अतिरिक्त होगा। 

मुंबई। महाराष्ट्र में मराठाओं को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत का स्वतंत्र आरक्षण मिलेगा। इस संबंध में मंगलवार को मराठा आरक्षण विधेयक 2024 महाराष्ट्र विधान सभा में लाया गया। जिसे सर्वसम्मत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में 50% की आरक्षण सीमा के अतिरिक्त होगा। इसके लिए राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार ने विशेष सत्र बुलाया था। मंगलवार सुबह ही मराठा आरक्षण मसौदे पर राज्य सरकार की कैबिनेट ने अपनी स्वीकृत दी थी।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सर्वप्रथम मराठा आरक्षण विधेयक पेश किया

विधानसभा के विशेष सत्र में मंगलवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सर्वप्रथम मराठा आरक्षण विधेयक पेश किया। जिसे सर्वसम्मत से एक साथ ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। उसके बाद मुख्यमंत्री ने इस विधेयक पर सरकार का पक्ष सदन में रखा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक दिन है। मराठा आरक्षण अपने वादे के अनुसार हमने पूरा किया है। उन्होंने कहा कि मैं एक मराठा किसान परिवार का बेटा हूं। मैं इसका दर्द समझता हूं। हम कानूनी रूप से योजना बना रहे हैं कि इससे अन्य लोगों के लिए निर्धारित कोटा इफेक्टिव ना हो। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस विधेयक से पिछड़ी जाति के लोगों के लिए निर्धारित कोटा किसी भी सूरत में अफेक्टेड नहीं होगा। इसके लिए लीगली तौर पर हमने विचार विमर्श किया है। उन्होंने बताया कि 10 साल में इस विधेयक का क्या प्रगति है, इसका रिव्यू किया जाएगा। विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार विधेयक पर अपनी स्वीकृत देते हुए विपक्ष की तरफ से समर्थन जताया। उन्होंने कहा कि हम इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किये जाने का समर्थन करते हैं।


राज्य पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया विधेयक का मसौदा

मराठा आरक्षण विधेयक राज्य सरकार की ओर से गठित महाराष्ट्र बैकवर्ड क्लास कमीशन (एमबीसीसी) के अध्यक्ष जस्टिस (रिटायर्ड) सुनील शुक्रे के रिपोर्ट पर आधारित है। जिससे जस्टिस शुक्र ने कुछ दिन पहले ही सरकार को सौंप है। यह रिपोर्ट मराठा समुदाय की सामाजिक और वित्तीय स्थिति के बारे में है। जिसमें कहा गया है कि मराठा समुदाय का एक बड़ा तबका अभी भी सामाजिक और शैक्षिक तौर पर काफी पिछड़ा है। राज्य में अभी मौजूदा लगभग 52 प्रतिशत आरक्षण लागू है। जिसमें बड़ी संख्या में जातियाँ और समूह शामिल है। राज्य में 28 प्रतिशत मराठा समुदाय के लोग है। इसलिए इन्हे अन्य पिछड़ा वर्ग में रखना ठीक नहीं होगा। मराठा आरक्षण विधेयक का मसौदा राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया। जिसमें सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े मराठा समुदाय के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% अतिरिक्त आरक्षण देने की सिफारिश की गई है।

मनोज जरांगे पाटिल ने ओबीसी कोटे से मांगा आरक्षण

मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने सरकार पर मराठों को धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमारी मांग नहीं मानी गयी तो हम फिर से आंदोलन शुरू करेंगे। हम बुधवार से आंदोलन की दिशा तय करेंगे। हमें ओबीसी कोटे से ही आरक्षण चाहिए, अलग से नही। राज्य सरकार का मराठों के लिए स्वतंत्र आरक्षण स्वीकार्य नहीं है, हमें ओबीसी के तहत ही आरक्षण चाहिए। अगर आज इसका कोई समाधान नहीं हुआ तो सरकार के खिलाफ हमारा आंदोलन फिर से शुरू होगा।जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सरकार की होगी।

एक साल में चार बार भूख हड़ताल कर चुके है मनोज

गौरतलब है कि मनोज जरांगे पाटिल गत एक साल में चार बार मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे में ही आरक्षण दिलवाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर चुके हैं। वह सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र मांग रहे है। कृषक समुदाय ‘कुनबी’ ओबीसी के अंतर्गत आता है। जिससे सभी मराठों को राज्य में ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण मिल सके।

पहले मिले आरक्षण को असंवैधानिक करार दे चुका है सुप्रीम कोर्ट 
महाराष्ट्र सरकार ने इसे पहले वर्ष 2018 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण अधिनियम लागू किया था। जिसमें मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने का प्रावधान था। जिसको लेकर मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी बावजूद इसके मुंबई हाईकोर्ट ने इसे सही ठहराया था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था।

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