केन्द्र सरकार ने तो दिल्ली में बैठकर जम्मू कश्मीर के बारे में सभी बड़े फैसले ले लिए। लेकिन जमीनी स्तर पर शांति बहाल रखने की जिम्मेदारी डाली गई है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पर। जो इस फैसले के बाद से लगातार कश्मीर के दौरे पर हैं। बुधवार को वह शोपियां जिले में आम लोगों के बीच उन्हें समझाते हुए दिखाई दिए। उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ खाना भी खाया।
श्रीनगर: केन्द्र सरकार ने जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बारे में फैसला लिया तो सभी जानकार लोग बेहद तनाव में थे। क्योंकि उन्हें लगता था कि ऐसा करने से कश्मीर जल उठेगा। वहां के लोग हिंसा पर उतारु हो जाएंगे। जिसकी वजह से विदेश में भारत की छवि पर असर पड़ेगा।
लेकिन दो दिन बीच चुके हैं और ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। इस बात का पूरा श्रेय जाता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को।
डोभाल संसद में कानून बनाए जाने के बाद से ही घाटी में डटे हुए हैं। वह कश्मीर में छाई तनावपूर्ण शांति के बीच बुधवार को शोपियां में स्थानीय लोगों से बातचीत करते हुए दिखे। इस दौरान डोभाल ने विश्वास बहाली के लिए लोगों के साथ बैठकर खाना भी खाया।
डोभाल लगातार राज्य में शांति बहाली की कोशिशों में जुटे हुए हैं। वह शोपियां में भी लोगों को धारा 370 हटाए जाने के फायदे समझाने में लगे हुए थे। उनके कंधों पर कश्मीर में शांति और व्यवस्था बहाल रखने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
Jammu and Kashmir: National Security Advisor Ajit Doval interacts with locals in Shopian, has lunch with them. pic.twitter.com/zPBNW1ZX9k
— ANI (@ANI)अजित डोभाल अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान केन्द्रीय सुरक्षा बलों, खुफिया एजेन्सियों और सेना के बीच समन्वय बनाकर काम कर रहे हैं। यह उनकी कोशिशों का ही असर है कि केन्द्र सरकार के इतने बड़े फैसले के बाद भी घाटी में किसी बड़ी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली हुई है।
डोभाल ने अपनी यात्रा के दौरान पुलिसकर्मियों और सुरक्षाबलों के जवानों से भी मुलाकात की। इस दौरान जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह भी उनके साथ मौजूद दिखे।
कश्मीर में शांति और व्यवस्था बनाए रखने की सबसे अहम जिम्मेदारी डोभाल को इसलिए भी दी गई है क्योंकि वह कई सालों तक पाकिस्तान और कश्मीर में काम कर चुके हैं। अजित डोभाल पाकिस्तान में भारत के जासूस रह चुके हैं। वह लगभग सात सालों तक पाकिस्तान में एक मुसलमान की वेशभूषा में रहे। उन्हें वहां कोई पहचान नहीं पाया।
कश्मीर के आतंकवादी और अलगाववादी संगठनों के बारे में उनका अनुभव गजब का है। 1990 के दशक में उन्होंने कश्मीर के आतंकवादी संगठनों में जबरदस्त पैंठ बना ली थी। उन्होंने आतंकियों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया था। उन्होंने आतंकियों में फूड डलवाकर उसमें से भारत के पक्ष में लड़ने वाले गुट तैयार कर लिए थे। इसमें भारत की तरफ से लड़ने वाला कूका पैरे भी था, जो बहुत प्रसिद्ध हुआ था।
इसीलिए कश्मीर में शांति का जिम्मा डोभाल के कंधों पर सौंपकर पीएम मोदी निश्चिंत बैठे हुए हैं।
3 जुलाई को सरकार ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अमरनाथ यात्रा रोक दी थी। इसके बाद वहां इंटरनेट और मोबाइल सेवा पर भी रोक लगा दी थी। राज्य में धारा 144 लगी है। स्कूल-कॉलेज भी बंद हैं। इसके अलावा राज्य के नेताओं को भी नजरबंद रखा गया है।