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पाकिस्तान में विपक्ष की आवाज दबाने को बाजवा की शरण में ‘नियाजी’

Published : Oct 19, 2019, 05:56 PM IST
पाकिस्तान में विपक्ष की आवाज दबाने को बाजवा की शरण में ‘नियाजी’

सार

पाकिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। लिहाजा विपक्ष दल सरकार को महंगाई बेरोजगारी और देश के खराब होते हालत के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इसके लिए पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद मार्च करने का फैसला किया है। जिसको लेकर इमरान सरकार घबरा गई है।

नई दिल्ली। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। क्योंकि विपक्षी दलों ने 31 अक्टूबर को राजधानी इस्लामाबाद में कूच कर प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। जिसको कुचलने के लिए इमरान खान ने अपने आका और  सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है जब इमरान खान विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सेना की शरण में गए हैं।

पाकिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। लिहाजा विपक्ष दल सरकार को महंगाई बेरोजगारी और देश के खराब होते हालत के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इसके लिए पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद मार्च करने का फैसला किया है। जिसको लेकर इमरान सरकार घबरा गई है। लिहाजा इस आवाज को दबाने के लिए इमरान सरकार ने सेना का दरवाजा खटखटाया है।

ताकि विपक्षी दलों की आवाज को दबाया जा सके और वह मार्च न कर सकें। यही नहीं विपक्षी दलों ने इमरान खान पर चुनावों में धांधली कर सत्ता में आने का आरोप लगाया है और इसके लिए भी वह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी तक पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार को समर्थन देने वाले विपक्षी दल जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजल ने 31 अक्टूबर को सरकार के खिलाफ इस्लामाबाद में मार्च निकालने का फैसला किया है।

इसके लिए उन्हें पाकिस्तान की सभी विपक्षी दलों का साथ मिला है। इस मार्च को पूर्व पीएम नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी, एएनपी और पख्तूनख्वा मिल्ली अवाम पार्टी ने समर्थन दिया है। विपक्षी दलों ने इस मार्च को 'आजादी मार्च'  का नाम दिया है। लिहाजा इसके लिए इमरान सरकार ने सेना को इस्लामाबाद में तैनात करने की तैयारी में है।

हालांकि इमरान सरकार सेना के जरिए विपक्षी दलों के नेताओं पर दबाव बना रही है। ताकि वह मार्च न निकालें वही पाकिस्तान सरकार का कहना है कि  फजल समेत सभी विपक्षी दलों से वार्ता की जाएगी। यदि यह वार्ता विफल रहती है तो फिर जरूरी प्रतिष्ठानों और सरकारी संस्थानों की सुरक्षा के लिए राजधानी में सेना को तैनात किया जाएगा।
 

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