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मध्य प्रदेश में चौथी बार शिवराज के सिर सजेगा 'ताज'!

Published : Mar 23, 2020, 06:33 PM ISTUpdated : Mar 23, 2020, 08:47 PM IST
मध्य प्रदेश में चौथी बार शिवराज के सिर सजेगा 'ताज'!

सार

माना जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान आज रात 9 बजे चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। शपथ ग्रहण समारोह भोपाल के राजभवन में आयोजित किया जाएगा। राज्य में 20 मार्च को कांग्रेस सरकार से 22 विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था। 

भोपाल। मध्य प्रदेश में आज नए मुख्यमंत्री के पद के लिए राजभवन में शपथग्रहण समारोह हो सकता है। माना जा रहा है कि वरिष्ठ भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान आज रात 9 बजे मध्य प्रदेश के सीएम पद की शपथ ले सकते हैं। शपथ ग्रहण समारोह भोपाल के राजभवन में आयोजित किया जाएगा और इसमें कुछ चुनिंदा लोग ही हिस्सा लेंगे।

माना जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान आज रात 9 बजे चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। शपथ ग्रहण समारोह भोपाल के राजभवन में आयोजित किया जाएगा। राज्य में 20 मार्च को कांग्रेस सरकार से 22 विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा था।  हालांकि मुख्यमंत्री के पद के लिए कई नेताओं के नाम चल रहे हैं।  लेकिन इस दौड़ में सबसे आगे शिवराज  सिंह चल रहे हैं।  

वहीं आज शाम को भोपाल में विधायक दल की बैठक होगी, जिस पर मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगेगी। इससे बाद नए मुख्यमंत्री के पद की शपथ राजभवन  में होगी। वहीं राज्य में सरकार का गठन आगामी 26 मार्च को होगा। माना जा रहा है कि नई सरकार में ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी नेताओं को जगह दी जाएगी। गौरतलब है कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी से विद्रोह कर कमलनाथ सरकार को सियासी संकट में ला दिया था। कमलनाथ सरकार से ज्योतिरादित्य सिंधिया के निष्ठावान विधायकों ने समर्थन लिया था।

सदन में विश्वासमत से दूर रहे कमलनाथ

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की कमलनाथ सरकार को 22 विधायकों के इस्तीफा देने के बाद फ्लोर टेस्ट का सामना करने का आदेश दिया था। लेकिन राज्य के सीएम कमलनाथ ने सीधे राज्यपाल के पास जाकर इस्तीफा सौंपा,क्योंकि सरकार के पास जरूरी बहुमत नहीं था। क्योंकि 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या 206 हो गई थी, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास 92 विधायक थे जबकि भाजपा के पास 107 विधायकों का समर्थन था।
 

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