यूपी में योगी सरकार का यह फैसला मायावती की राजनीति को कर सकता है तबाह

Published : Jun 29, 2019, 09:25 AM ISTUpdated : Jun 29, 2019, 09:29 AM IST
यूपी में योगी सरकार का यह फैसला मायावती की राजनीति को कर सकता है तबाह

सार

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला करते हुए अनुसूचित जातियों की लिस्ट में 17 और जातियों को शामिल कर लिया है। यह जातियां पहले ओबीसी(अन्य पिछड़ा वर्ग) में शामिल थीं। योगी सरकार के इस फैसले से मायावती की दलित समुदाय आधारित राजनीति को बड़ा झटका लगने की आशंका है।   

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 17 और जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल कर लिया है। ये जातियां हैं- निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़।  

अभी तक यह सभी जातियां ओबीसी(अन्य पिछड़ा वर्ग) में आती थीं। अब सभी जिला अधिकारियों को निर्देश भेज दिया गया है कि इन जातियों से आने वाले परिवारों को अनुसूचित जाति वर्ग के तहत जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएं। इन सभी जातियों को अब अनुसूचित जाति वर्ग के तहत आरक्षण प्राप्त होगा। 

दरअसल बीजेपी काफी समय से उत्तर प्रदेश में गैर जाटव राजनीति पर ध्यान दे रही है। यानी बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती के कोर वोटर जाटव जो कि अनुसूचित जाति वर्ग का लभग 70 फीसदी हैं, उनसे अलग अनुसूचित जाति समूह तैयार करना चाहती है। 

इसके लिए कई अन्य दलित जातियों को बढ़ाया जा रहा है। इसी कवायद के तहत निषाद, बिंद, मल्लाह, केवट, कश्यप, भर, धीवर, बाथम, मछुआरा, प्रजापति, राजभर, कहार, कुम्हार, धीमर, मांझी, तुरहा और गौड़ जातियों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया गया है।   

इन सभी जातियों ने बीएसपी का दाम छोड़कर पिछली बार बीजेपी के पक्ष में मतदान किया था। इसलिए योगी सरकार ने इन्हें अनुसूचित जाति की श्रेणी में डालकर पुरस्कृत करने का काम किया है। 

योगी सरकार के इस बड़े फैसले पर एसपी या बीएसपी ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं प्रदान की है। इससे पहले भी कई पूर्ववर्ती सरकारों ने अनुसूचित जातियों की लिस्ट में जातियों की संख्या बढ़ाने की कोशिश की थी। लेकिन कभी भी यह कवायद अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाई थी। 

दरअसल बीजेपी दलित समुदाय के वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है। यह समुदाय अभी तक बीएसपी का कोर वोटर माना जाता था। लेकिन अब अनुसूचित जाति वर्ग में अपनी समर्थक जातियों को घुसाकर बीजेपी दलित समुदाय के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रही है। यह उत्तर प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोट बैंक मजबूत करने की कवायद है। 

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