पुलिस के अनुसार माओवादियों ने पुणे में 31 दिसम्बर 2017 को एल्गार-परिषद सम्मेलन का समर्थन किया था और यहां दिए गए भड़काऊ भाषण के बाद अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़क गई थी।
पुणे पुलिस ने एल्गार-परिषद माओवादी से संबंध रखने के मामले में प्रोफेसर आनंद तेलटुंबड़े को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया।
‘गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट’ के प्रोफेसर तेलटुंबड़े को पुलिस ने शनिवार तड़के मुंबई हवाई-अड्डे से गिरफ्तार कर लिया। इससे एक दिन पहले पुणे की एक विशेष अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पुणे पुलिस के संयुक्त आयुक्त शिवाजी बोडखे ने बताया कि उन्हें पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें अदालत में पेश किया जाएगा। मामले की जांच कर रहे सहायक पुलिस आयुक्त शिवाजी पवार ने कहा, 'पुणे की एक अदालत के शुक्रवार को उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के बाद हमने उन्हें गिरफ्तार करने का निर्णय लिया।'
तेलटुंबड़े के वकील रोहन नाहर ने गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 11 फरवरी तक गिरफ्तारी से छूट दे रखी है। उन्होंने कहा, ‘उनकी गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है और हम इसके खिलाफ याचिका दायर करेंगे।’
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने भी कार्यकर्ता की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए ट्वीट किया, ‘डॉक्टर आनंद तेलटुंबड़े को मुंबई हवाई अड्डे से पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया, जो सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का बड़ा उल्लंघन है जिसमें उन्हें गिरफ्तारी से 11 फरवरी तक छूट दी गई है। यह कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। डॉ. आनंद तेलटुंबड़े को तुरंत रिहा किया जाए।’
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किशोर वडाने ने शुक्रवार को पाया कि जांच अधिकारी ने अपराध में आरोपी (तेलटुम्बड़े) की संलिप्तता दिखाने के लिए पर्याप्त सामग्री एकत्रित की है।
पुलिस के अनुसार माओवादियों ने पुणे में 31 दिसम्बर 2017 को एल्गार-परिषद सम्मेलन का समर्थन किया था और यहां दिए गए भड़काऊ भाषण के बाद अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा भड़क गई थी।