आखिर अपने 'गुरु' नीतीश कुमार पर ही क्यों निशाना साध रहे हैं पीके

By Team MyNation  |  First Published Mar 3, 2020, 12:31 PM IST

अब पीके नीतीश कुमार के 15 साल के सुशासन पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुशासन के 15 साल बाद भी बिहार सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य क्यों है?। जबकि प्रशांत किशोर ने ही पिछले विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के सुशासन को प्रचारित किया था और राज्य में जदयू की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

नई दिल्ली। चुनावी रणनीतिकार और जनता दल यूनाइटेड से निष्कासित प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। प्रशांत किशोर पिछले पांच साल नीतीश कुमार के जिन सुशासन की  तारीफ नहीं करते थकते थे अब उसी की आलोचना कर नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ाकर रहे हैं।, पीके ने नीतीश कुमार निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने दिल्लीं दंगों को लेकर एक भी शब्द नहीं बोला।

हालांकि पीके अभी पूरी तरह से नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा नहीं खोल रहे हैं। क्योंकि कुछ दिनों पहले तक वह नीतीश कुमार के करीबी माने जाते थे। अब पीके नीतीश कुमार के 15 साल के सुशासन पर निशाना साध रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुशासन के 15 साल बाद भी बिहार सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य क्यों है?। जबकि प्रशांत किशोर ने ही पिछले विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के सुशासन को प्रचारित किया था और राज्य में जदयू की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

असल में पीके कभी अपने विरोध रहे राजद और कांग्रेस के खिलाफ अभी मोर्चा नहीं खोलना चाहते हैं। क्योंकि आने वाले समय में पीके को इन्हीं राजनैतिक दलों के साथ गठबंधन करना होगा और अब उनके उनके निशाने परा राजग रहेगा। वहीं पीके ठीक विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार पर आक्रामक होने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उससे पहले वह छोटे छोटे मुद्दों को उठाकर नीतीश कुमार को घेर रहे हैं। ताकि विपक्षी दलों के नजर में उनकी अहमियत बनी रहे। पीके ने राज्य सरकार से बिहारी युवाओं का दूसरे राज्यों में पलायन और बेरोजगारी पर सवाल पूछा है।

नीतीश कुमार ने जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पर नीतीश कुमार के विरोध करने पर निलंबित कर दिया था। प्रशांत किशोर ने अभी तक राज्य में अपनी रणनीति को साफ नहीं किया है। लेकिन पिछले दरवाजे से वह  कई दलों के नेताओं के साथ मुलाकात कर चुके हैं। ताकि विधानसभा चुनाव से पहले वह जदयू और एनडीए को चुनावी मैदान में मात दे सकें। राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव जदयू और राजद ने मिलकर लड़ा था और उस वक्त पीके ने ही जदयू के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी।  
 

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