ममता के गढ़ में अमित शाह की हुंकार, 'परिवर्तन' होकर रहेगा...

By Anindya Banerjee  |  First Published Aug 11, 2018, 4:43 PM IST

बंगाल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली के आयोजन में कई तरह की बाधाएं आईं। कोलकाता में रैली की इजाजत नहीं दी गई लेकिन जब भाजपा ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही तो रैली को हरी झंडी दे दी गई।

जिस तरह से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की कोलकाता में होने वाली रैली में अड़ंगा लगाया जा रहा था, यह तय हो गया था कि वह ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोलेंगे। हुआ भी कमोबेश ऐसा ही...। अमित शाह ने ममता पर हमला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शाह ने रैली में सीधे बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि ये ममता बनर्जी का वोटबैंक हैं, इसीलिए टीएमसी एनआरसी का विरोध कर रही है। 

शाह ने कहा, 'एक समय अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए वाम दलों का वोटबैंक थे। उस समय ममता बनर्जी ने लोकसभा में हंगामा किया और बांग्लादेशी घुसपैठियों को वापस भेजने की मांग की, लेकिन अब वही बांग्लादेशी घुसपैठिए टीएमसी का वोटबैंक बन गए हैं। ममताजी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष यह साफ करें कि आप देश को आगे रखते हो या वोटबैंक को आगे रखते हो। असम समझौते को राजीव गांधी ने तैयार करवाया। उस समय कांग्रेस को कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन आज वोटबैंक के चक्कर में राहुल गांधी अपना मत स्पष्ट नहीं करते।' 

शाह ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि भाजपा की आवाज जनता तक पहुंचने से रोकने के लिए बंगाली चैनल बंद करा दिए गए। यही नहीं कोलकाता में भाजपा विरोधी पोस्टर लगे हैं। लेकिन भाजपा कभी बंगाल विरोधी नहीं हो सकती। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि भाजपा के संस्थापक खुद बंगाली थे। हां, भाजपा ममता विरोधी जरूर है। शाह ने ममता को चुनौती देते हुए कहा, 'मैं टीएमसी को उखाड़ फेंकने के लिए बंगाल के हर जिले में जाऊंगा। लोकतंत्र का इतिहास उठाकर देख लीजिए, जिन्होंने भी आवाज दबाने का काम किया है वह खत्म हो गए।' 

शाह ने कहा, 'ममताजी स्पष्ट करें कि जब नागरिकता संशोधन बिल आएगा तो वह समर्थन करेंगी या नहीं। ये घुसपैठिए जो हिंदू, मुस्लिम समेत अन्य वर्गों का हक छीन रहे हैं क्या इन्हें नहीं हटाना चाहिए। एक ऐसी प्रचंड ताकत खड़ी कीजिए कि एनआरसी का समर्थन करना पड़े। जब से तृणमूल कांग्रेस की सरकार आई है नारदा, शारदा, रोज वेली, भतीजे का भ्रष्टाचार...एक सीरीज बनती चली गई। यदि पश्चिम बंगाल को भ्रष्टाचार से मुक्त करना है तो नरेंद्र मोदी की सरकार बनाएं।'

शाह ने राजनीतिक हिंसा पर भी ममता बनर्जी सरकार को घेरा। कहा, 'पहले बंगाल में रविंद्र संगीत सुनाई देता था। चैतन्य महाप्रभु का कीर्तिन सुनने को मिलता था। आज यहां बम धमाकों की आवाजें सुनाई पड़ती हैं। टीएमसी के शासन में बम और पिस्टल बनाने के कारखाने बढ़ रहे हैं।' शाह ने कहा, 'टीएमसी के शासन में मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन नहीं करने दिया जाता, स्कूलों में सरस्वती पूजा बंद कर दी गई। हमारी सरकार बनने पर डंके की चोट पर दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन होगा, डंके की चोट पर स्कूलों में सरस्वती पूजा होगी।' शाह ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ममता बनर्जी ने फिर से विसर्जन रोकने की कोशिश की तो पार्टी कार्यकर्ता ईंट से ईंट बजा देंगे। 

शाह ने अपनी बात खत्म करते हुए स्वामी विवेकानंद का जिक्र किया और कहा कि बंगाल को अब 'परिवर्तन' से 'परिवर्तन' की दरकार है। शाह ने कहा, 'स्वामी विवेकानंद, राम कृष्ण, चैतन्य महाप्रभु की धरती आज परिवर्तन के लिए कराह रही है। हम टीएमसी को सत्ता से उखाड़ फेंकेंगे।'  दरअसल, 2011 में ममता बनर्जी 'परिवर्तन' के नारे के साथ लेफ्ट की 34 साल की सरकार को सत्ता से हटाने में सफल रही थीं। 

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केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो, सांसद एसएस आहलुवालिया, भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष, राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा और भाजपा युवा मोर्चा की प्रमुख पूनम महाजन भी इस रैली में शामिल थीं। 

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