2019 में मोदी बनाम अराजकता की लड़ाईः जेटली

By Team MyNation  |  First Published Jan 21, 2019, 2:57 PM IST

केंद्रीय वित्त मंत्री ने फेसबुक ब्लॉग में लिखा, 2019 के सियासी समर की प्रकृति भी अब साफ होने लगी है। मोदी के खिलाफ विपक्ष दोतरफा रणनीति पर काम कर रहा है। पहला, मोदी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार करना और दूसरा, चुनावी गणित का लाभ लेने के लिए ज्यादा से ज्यादा दलों का गठजोड़ बनाना। 

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्षी पार्टियों के महागठबंधन की कोशिशों पर बड़ा हमला बोला है। अमेरिका में इलाज करा रहे जेटली ने फेसबुक एक पोस्ट लिखकर कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम विपक्षी अराजकता की लड़ाई होगा। 

'2019 का एजेंडा- मोदी बनाम अराजकता' नाम से लिखे फेसबुक ब्लॉग में उन्होंने कहा है, हर आम चुनाव का अपनी एक पटकथा होती है। यह देश के मौजूदा राजनीतिक हालात से प्रभावित होती है। 2019 के सियासी समर की प्रकृति भी अब साफ होने लगी है। मोदी के खिलाफ विपक्ष दोतरफा रणनीति पर काम कर रहा है। पहला, मोदी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार करना और दूसरा, चुनावी गणित का लाभ लेने के लिए ज्यादा से ज्यादा दलों का गठजोड़ बनाना। 

उन्होंने लिखा है, कोई भी नकारात्मक अभियान तभी काम करता है जब सरकार या उनके नेता के खिलाफ जोरदार सत्ता विरोधी लहर हो। नाराज जनता सरकार के खिलाफ वोट देकर उसे बाहर कर देती है। मगर जब सरकार और उसके नेताओं के कार्यों से लोग संतुष्ट होते हैं तो वे उसे दोबारा सत्ता में लाते हैं।

जेटली ने अपने ब्लॉग में दावा किया कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल को लेकर लोगों में निराशा नहीं है। भारत की जनता सरकार के कामकाज से संतुष्ट है। मोदी 2014 में जातिवादी, वंशवादी किलों को गिराते हुए प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे। विपक्ष इस वक्त पीएम के लगातार ऑफिस में रहने को भी मुद्दा बना रहा है, लेकिन हम भाजपा के सदस्य उनके इस कदम का स्वागत करते हैं। जेटली ने यह भी दावा किया कि सरकार के खिलाफ माहौल नहीं है। इसीलिए विपक्ष असंतुष्ट मतदाताओं की भावना का फायदा नहीं उठा सकता। 

जेटली ने अपने ब्लॉग में कोलकाता रैली को मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों का जमघट करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह रैली मोदी विरोधियों को एकत्रित करने की थी और ऐसा था भी। जेटली ने ब्लॉग में इस बात पर ध्यान दिलाया कि यह रैली ऐंटी मोदी रैली थी, लेकिन इसमें राहुल गांधी, केसीआर और मायावती शामिल नहीं हुए। वित्त मंत्री ने अपने ब्लॉग में लिखा कि ममता की रैली में शामिल 2/3 लोग ऐसे थे जो पूर्व में बीजेपी के साथ काम कर चुके हैं। ये वो लोग थे जो अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए इकट्ठा हुए और इन्होंने कोई सकारात्मक विचार नहीं रखा। 

उन्होंने लिखा, उत्तर प्रदेश और कुछ हद तक कर्नाटक को छोड़कर वोटों के गणित में 2014 वाली ही स्थिति है। इन दोनों राज्यों में पूरा जोर जातीय गठजोड़ पर है। लेकिन इस तरह के जातीय गठजोड़ से पूरी तरह वोटों का ट्रांसफर हो जाना आसान नहीं है। स्थानीय हालात दूसरी तरह से प्रतिक्रिया देते हैं। 

जेटली ने अपने ब्लॉग में भाजपा के असंतुष्टों और बागी नेताओं पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, 'बंगाल की दीदी को अपनी राजनीति के समर्थन में पीछे से कुछ लोगों की मदद चाहिए। इसके लिए उन्होंने दिल्ली के उत्साही मुख्यमंत्री से लेकर भाजपा के कुछ अंसतुष्ट लोगों को भी साथ कर लिया है।' आरजेडी, डीएमके और नेशनल कांफ्रेंस की मौजूदगी को राज्य के राजनीतिक समीकरणों के अनुसार कांग्रेस के साथ रहने में फायदे वाला करार दिया। वहीं, बीएसपी सुप्रीमो पर तीखा हमला करते हुए जेटली ने लिखा, 'उत्तर प्रदेश की बहनजी का फंडा साफ है पूरा जोर लगाओ...। उन्हें यकीन है कि उनके प्रदेश में चुनाव सिर्फ जातीय समीकरण से ही जीते जा सकते हैं।' 

जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा है, मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री पद का दावेदार पेश करना भाजपा के लिए एक बड़ा मौका है। विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है, लेकिन भाजपा के लिए खतरे की बात कोई नहीं है। जेटली ने लिखा, 'संभावनाओं से भरे देशवासी नकारात्मकता को कभी स्वीकार नहीं करने जा रहे। जनता एक मजबूत 5 साल की स्थायी सरकार चाहती है न कि हर 6 महीने के बाद अस्थिरता। अगर इसकी 1971 जैसे हालात से तुलना करें तो यह मोदी बनाम अराजकता की लड़ाई है।' 

Kolkata rally which was basically an anti-Modi rally, became significantly a non-Rahul Gandhi rally, by his conspicuous absence. All four ambitious politicians pursue fanciful strategies to replace PM , however, Congress can at best dream only to be a pillion rider.

— Arun Jaitley (@arunjaitley)


 

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