दिल्ली के सीएम केजरीवाल को 'मदद' पर सुनाई खरी-खरी

By Team Mynation  |  First Published Sep 6, 2018, 4:38 PM IST

सफाई में बोले दिल्ली के सीएम, सरकार कामकाज के मामले में कई अड़ंगों का सामना कर रही है। दिल्ली सरकार की खेल संबंधी नीतियों में कुछ दिक्कतें हैं, उनमें सुधार की कुछ कोशिशें की हैं। 

वैसे तो मौका एशियाई खेलों में पदक जीतने वाले दिल्ली के खिलाड़ियों को सचिवालय में सम्मानित करने का था लेकिन राज्य के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने यह नहीं सोचा होगा कि उन्हें इस कार्यक्रम में 'चित' होना पड़ सकता है।

एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वालीं महिला पहलवान दिव्या काकरान ने जब खिलाड़ियों की अनदेखी को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए तो किसी के पास कोई जवाब नहीं था। सब चुपचाप उन्हें सुनते रहे। काकरान ने कहा, अगर मुझे समय पर मदद मिली होती तो मैं स्वर्ण पदक भी जीत सकती थी।

एशियन गेम्स में रेसलिंग में देश को कांस्य पदक दिलाने वाली दिव्या काकरान की सीएम को खरी खरी।

दिव्या ने कहा, "कॉमनवेल्थ में जब गोल्ड जीता तब भी आपने बुलाया। मैंने कहा एशियन गेम्स की तैयारी के लिए कुछ चाहिए। मैंने लिखकर दिया लेकिन मेरा फोन भी नहीं उठाया गया।" pic.twitter.com/XAgmlTQfaJ

— Javed Mansoori (@mjaved819)

काकरान ने एशियाई खेलों में 68 किलो भारवर्ग की फ्री स्टाइल कुश्ती में चीनी ताइपे की चेन वेनलिंग को हराकर कांस्य पदक जीता था। दिल्ली सचिवालय में आयोजित अभिनंदन समारोह में खिलाड़ियों के सीएम केजरीवाल से संवाद के दौरान दिव्या ने कहा, आज जब मैंने कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीत लिया है तो आप मुझे बुलाकर सम्मान दे रहे हैं। मदद करने का आश्वासन दे रहे हैं। लेकिन जब मैंने एशियाई खेलों की तैयारी के लिए चिट्ठी लिखकर दिल्ली सरकार से मदद मांगी तो वह नहीं मिली। यहां तक कि किसी ने मेरा फोन भी नहीं उठाया।  दिव्या ने कहा कि पड़ोसी राज्य हरियाणा के खिलाड़ियों ने एशियाई खेलों में इसलिए बेहतर प्रदर्शन किया, क्योंकि उन्हें राज्य सरकार से बड़ा समर्थन मिला। हमारे अंदर भी और अच्छा प्रदर्शन करने की भूख है लेकिन हमें राज्य सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिलती। 

उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि गरीब बच्चों की तब मदद की जाए जब उन्हें इसकी ज्यादा जरूरत होती है। काकरान के आरोपों पर केजरीवाल ने सफाई देते हुए कहा, वह दिव्या की बात से सहमत हैं, लेकिन उनकी सरकार कामकाज के मामले में कई अड़ंगों का सामना कर रही है। दिल्ली सरकार की खेल संबंधी नीतियों में कुछ दिक्कतें हैं। हमने सत्ता में आने के बाद उनमें सुधार की कुछ कोशिशें की हैं। लेकिन किसी न किसी कारण से उच्चस्तर पर हमारी नीतियां रुक गई हैं। 

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