जीत के बाद कर्जमाफी पर राहुल गांधी का 'गोलमोल' जवाब

By Arjun SinghFirst Published Dec 12, 2018, 8:02 PM IST
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हिंदी भाषी प्रदेशों में चुनाव प्रचार के दौरान जोर देकर कहा कि सरकार 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ कर देगी, 11वां दिन नहीं लगेगा। जीतने के बाद बोले, कर्जमाफी कोई हल नहीं है। 

कांग्रेस ने हिंदी भाषी प्रदेशों में चुनाव प्रचार के दौरान किसानों से वादा किया था कि सरकार बनने पर किसानों का कर्ज दस दिन में माफ कर दिया जाएगा। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को जबरदस्त सफलता मिली है। माना जा रहा है कि इसमें किसानों से कर्ज माफी के वादे ने भी अहम भूमिका निभाई है। 

राहुल गांधी ने किसानों की नाराजगी के सबसे बड़े केंद्र मध्य प्रदेश के मंदसौर में कहा था कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनती है तो वह दस दिन में किसानों का कर्ज माफ कर देंगे। इसके लिए 11 दिन नहीं लगेगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी का चुनावी वादा पूरा होगा। 

तीन राज्यों में जीत के बाद जब मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रेस से बात कर रहे थे, तब भी उनसे इसे लेकर सवाल पूछा गया। पहले तो उन्होंने कहा कि सरकार बनने के दस दिन में हम ऐसा कर देंगे। हालांकि जब मीडिया ने एक्शन प्लान पर सवाल पूछा तो उनका जवाब काफी गोलमोल रहा। 

सुनिये राहुल गांधी को 'तब और अब'

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राहुल ने कहा, 'कर्जमाफी एक मदद के लिए उठाया जाने वाला कदम है। कर्जमाफी कोई हल नहीं है। उपाय ज्यादा कॉम्प्लेक्स होगा, किसानों को ज्यादा सपोर्ट करने का होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने का होगा। टेक्नोलॉजी देने का होगा, मैं स्पष्टता से कहूं तो उपाय आसान नहीं है। उपाय चुनौतीपूर्ण है और हम उसे करके दिखाएंगे। लेकिन उसमें हमें किसानों के साथ काम करना होगा, देश की जनता के साथ हमें काम करना होगा। हम वह करेंगे।'

कांग्रेस नेतृत्व को समझ आ गया है कि चुनावी घोषणाओं को पूरा करने के लिए उसे जूझना होगा। छत्तीसगढ़ में तो किसानों ने अपना धान इसलिए रोके रखा कि अगर कांग्रेस की सरकार आएगी तो उन्हें समर्थन मूल्य ज्यादा मिलेगा। अब कर्जमाफी तुरंत करने का दबाव भी नई सरकार पर है। 

सवाल यह भी उठ रहा है कि सरकार कौन सा कर्ज माफ करेगी। अकेले छत्तीसगढ़ में किसानों पर खाद, बीज का करीब 32 सौ करोड़ रुपये कर्ज है। क्या सरकार इसी को माफ करेगी। किसानों ने कृषि उपकरणों, ट्रैक्टर के लिए जो कर्ज लिया है उसे माफ किया जाएगा या नहीं यह साफ नहीं है। सहकारी बैंकों से कर्ज का रिकॉर्ड सरकार के पास होता है लेकिन साहूकारों से लिए कर्ज का कोई बहीखाता नहीं है। 

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