जनरल बिपिन रावत ने कहा, पंजाब में जो भी हो रहा है, उसको लेकर हम आंखें नहीं मूंद सकते। अगर हम जल्द कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो काफी देर हो जाएगी।
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने चेताया है कि 'बाहरी संपर्कों' के जरिये पंजाब में उग्रवाद को फिर से जीवित करने की कोशिशें हो रही हैं। ऐसे प्रयास असम में भी हो रहे हैं। अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो काफी देर हो जाएगी। जनरल रावत ने शनिवार को एक सेमिनार में यह बात कही। वह 'भारत में आतंरिक सुरक्षा का बदलता परिदृश्यः ट्रेंड एवं प्रतिक्रिया' पर आयोजित सेमिनार में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, रक्षा विशेषज्ञों और पूर्व वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
जनरल रावत ने कहा, 'पंजाब में शांति है लेकिन बाहरी संपर्कों से राज्य में फिर से उग्रवाद को खड़ा करने की कोशिशें हो रही हैं। हमें काफी सतर्क रहना है।' उन्होंने कहा, 'हमें ऐसा नहीं सोचना है कि हालात ठीक हो गए हैं। पंजाब में जो भी हो रहा है, उसको लेकर हम आंखें बंद नहीं कर सकते हैं। अगर हम जल्द कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो काफी देर हो जाएगी।' खालिस्तान की मांग को लेकर 1980 के दशक में पंजाब ने उग्रवाद का काफी बुरा दौर देखा है। हालांकि सरकार ने इस पर लंबे अभियान के बाद काबू पा लिया था।
जनरल रावत ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा देश की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है, लेकिन सवाल ये है कि हम इसका समाधान क्यों नहीं खोज पा रहे, क्योंकि इसके बाहरी संपर्क हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन रक्षा विचार समूह सीएलएडब्ल्यूएस यानी सेंटर फॉर लैंड ऐंड वॉरफेयर स्टडीज ने किया था। जनरल रावत इसके संरक्षक हैं। सेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि अकेले सेना के जरिये उग्रवाद से नहीं निबटा जा सकता है। इसके लिए सभी एजेंसियों यानी सरकार, सिविल प्रशासन और पुलिस से मिलकर काम करना होगा।
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने ब्रिटेन में हाल में निकाली गई खालिस्तान समर्थित रैली का जिक्र किया, जिसमें 'जनमत संग्रह 2020' की मांग की गई थी। 12 अगस्त को लंदन में सैकड़ों लोग इस खालिस्तान समर्थित रैली में शामिल हुए थे। (इनपुट एजेंसी)