'बागी' सिब्बल नाराज, सोनिया के वफादारों ने बताया था 'गद्दार' और 'जयचंद'

By Team MyNationFirst Published Aug 30, 2020, 12:47 PM IST
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फिलहाल कार्यसमिति की बैठक से पहले सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेता सोनिया समर्थकों की खरी-खोटी सुनने के बाद अपने अपने अपमान को भुला नहीं पा रहे हैं। सोनिया समर्थकों का साफ कहना था कि इन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।

नई दिल्ली। कांग्रेस में जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी में 23 वरिष्ठ नेताओं के कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को एक पत्र लिखने के बाद पार्टी में दो गुट बन गए हैं। कांग्रेस में गांधी परिवार के समर्थकों ने राज्यसभा में कांग्रेस के संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद पर निशाना साधा था। वहीं सोनिया गांधी समर्थकों ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल को गद्दार और जयचंद की उपाधि दी थी। जिसके बाद सिब्बल पार्टी से नाराज चल रहे हैं।

फिलहाल कार्यसमिति की बैठक से पहले सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेता सोनिया समर्थकों की खरी-खोटी सुनने के बाद अपने अपने अपमान को भुला नहीं पा रहे हैं। सोनिया समर्थकों का साफ कहना था कि इन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने राज्यसभा में पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद और आंनद शर्मा के परों को कतर दिया है। पार्टी ने राज्यसभा में लिए जाने वाले  फैसलों को लेकर एक समिति का गठन किया है। जिसमें गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले अहमद पटले के साथ ही तीन अन्य नेताओं को शामिल किया गया है।

वहीं अब  पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कांग्रेस में पिछले दिनों हुए बवाल को लेकर उनके ऊपर की गई टिप्पणी के बाद नाराजगी जाहिर की है। सिब्बल का कहना है कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद उनके ऊपर लगातार हमले हो रहे हैं और किसी भी सदस्य ने उनका बचाव नहीं किया। उन्होंने कहा कि पार्टी में दूसरे धड़े ने उन्हें जयचंद और गद्दार कहा और उनके साथ इस बात को सुनते रहे। असल में कांग्रेस की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पत्र भेजने वाले नेताओं पर ही बिफर गए और उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता भाजपा से मिले हुए हैं।

वहीं कुछ नेताओं ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी के समय पर भी सवाल उठाए। उधर सिब्बल का ये भी कहना है कि कुछ नेताओं ने उन्हें देशद्रोही भी कहा। वहीं शनिवार को गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर पार्टी के भीतर संगठन चुनाव नहीं कराए गए तो पार्टी को अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठना पड़ेगा। क्योंकि पार्टी में लोकतंत्र मजबूत नहीं होगा और मतदाता कांग्रेस से दूर हो रहे हैं।

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