पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में जैश के आतंकी ठिकाने में 270 से 280 आतंकी मौजूद थे। 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमानों ने इस ठिकाने पर बम गिराया था।
पाकिस्तान की ओर से बालाकोट में भारतीय वायुसेना के हवाई हमले से मची तबाही का सच छिपाने का लगातार प्रयास हो रहा है। आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर किए गए इस हमले को लेकर सनसनीखेज हकीकत रोजाना नए-नए तरीके से सामने आ रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में जैश के आतंकी ठिकाने में 270 से 280 आतंकी मौजूद थे। 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमानों ने इस ठिकाने पर बम गिराया था।
भारत की ओर से पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे झूठ की कलई एक के बाद एक कर लगातार खुल रही है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, जिस दिन बालाकोट में जैश के आतंकी कैंप पर हवाई हमला हुआ था वहां कम से कम 270 लोग मौजूद थे। अब एक ऑडियो टेप भी सामने आया है। इसमें एक पाकिस्तानी नागरिक भारतीय वायुसेना द्वारा मचाई गई तबाही के बारे में बात कर रहा है। इस शख्स की पहचान नहीं हो पाई है। वह यह भी बता रहा है कि कैसे पाकिस्तान बालाकोट की हकीकत को दबाने की कोशिश कर रहा है।
ऑडियो में सनसनीखेज दावे
इस ऑडियो में यह शख्स बता रहा है कि कैसे पाकिस्तान सेना ने आतंकियों के शवों को ठिकाने लगाया है। वहां डॉक्टरों को भी ले जाया गया। यह शख्स इस हमले का प्रत्यक्षदर्शी है। ऑडियो में वह कह रहा है कि कुछ आतंकियों की लाशों को नदी में फेंक दिया गया जबकि कुछ को आग लगा दी गई।
सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि भारत के पास बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को लेकर खास इनपुट थे। इसमें नए आतंकियों, ट्रेनर, कमांडर और फिदायीन हमलावरों की मौजूदगी की पुख्ता जानकारी थी। संपर्कों और डिजिटल खुफिया सूचना तथा जमीनी तौर पर पुष्टि के बाद यह अनुमान लगाया गया है कि हमले के समय बालाकोट कैंप में 270-280 लोग मौजूद थे।
आतंकियों की मौजूदगी का पूरा ब्यौरा
खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि बालाकोट में नए आतंकियों को ट्रेनिंग देने के लिए जैश के 18 सीनियर कमांडर मौजूद थे। 83 आतंकी दौरा-ए-आम के लिए वहां पहुंचे थे। यानी ये लोग प्रशिक्षण के शुरुआती दौर में थे। 91 आतंकी दौरा-ए-खास यानी आगे की ट्रेनिंग के लिए मौजूद थे। इसके अलावा 25 आतंकियों का चयन फिदायीन हमलों के लिए किया गया था।
इन सभी को वायुसेना ने इस्राइल से मिले स्पाइस-2000 बम की मदद से मार गिराया। सूत्रों ने 'माय नेशन' को बताया कि वायुसेना के पास इस बात के इलेक्ट्रॉनिक सबूत हैं जिनसे यह साबित होता है कि मिराज-2000 विमानों में लगे सैटेलाइट गाइडेड स्पाइस बम ने अपने लक्ष्य को सटीकता के साथ भेदा। सैटेलाइट और रडार से मिले साक्ष्यों को सरकार को सौंप दिया गया है।
स्पाइस बम का खास वेरियंट हुआ इस्तेमाल
'माय नेशन' को पता चला है कि वायुसेना ने इसबम के पेनीट्रेटर वर्जन का इस्तेमाल किया। यह टॉरगेट वाली इमारत या ढांचे पर सीधे अंदर घुस जाता है और अंदर सब तबाह कर देता है। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि बिल्डिंग पूरी गिर जाए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, स्पाइस 2000 को किसी ढांचे को ध्वस्त करने के लिए नहीं बनाया गया है। यह किसी टॉरगेट के भीतर ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। यही वजह है कि इसे स्मार्ट बम कहा जाता है। इस लेजर गाइडेड बम का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा जनहानि पहुंचाना होता है। हमले के समय बालाकोट कैंप में बड़ी संख्या में आतंकी, उनके ट्रेनर और टॉप कमांडर मौजूद थे। इस हमले के जरूरी लक्ष्य हासिस किया गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वायुसेना के हमले में मारे गए आतंकियों में कई ऐसे ट्रेनर थे जो आईईडी, विस्फोटकों में महारत रखते थे। प्रत्यक्षदर्शी ने ऑडियो में जैश-ए-मोहम्मद के कुछ आतंकियों के नाम लिए हैं। ये सभी हमले में मारे गए हैं।
प्रत्यक्षदर्शी ने आतंकियों के नाम भी बताए
प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, 'माइनशाह अब्दार जाक, लाहौर के मेजर रिटायर्ड हवार राणा, कराची के अल्ताफ अली चौधरी, रावलपिंडी के मुदस्सर अली, बहावलपुर के उस्ताद मोहसिन, दत्ताखेल के ताफेल दोस्त मारे गए हैं। इसके अलावा, धानू के रहने वाले दो भाई अली खाटक और बहादुर खाटक भी हमले में मारे गए। जैश का गुजरांवाला का रहने वाले एक टॉप कमांडर भी मारा गया है। उसे जैश का अहम आतंकी कमांडर बताया गया है। मारे गए अन्य आतंकियों में सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट राणा मोहसिन अली, मियांवाला का ताफीक उमर, मोईन अली, सरदार सुहैल, डेरा गाजी खान का कैप्टन रियायर्ड मुश्ताक, मंडी बवालदीन का शहरयार दीन, कराची के मॉडल टाउन का स्पेशल वीडियो एडीटर ताहिर अली शेख भी शामिल है। इसके अलावा डेरा स्माइल खान का आईईडी एक्सपर्ट इंजीनियर राणा भी इस हमले में मारा गया।'
इस ऑडियो में यह दावा भी किया है कि बालाकोट में रहने वाले लोगों से उनके मोबाइल फोन भी छीन लिए गए। 26 फरवरी को हुए हमले से पहले से ही इस इलाके में इंटरनेट सेवाएं सस्पेंड कर दी गई थीं ताकि कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की सूचना साझा न कर सके।