ई-टिकटिंग के बड़े रैकेट का भंडाफोड़, पाकिस्तान और टेरर फंडिंग से है कनेक्शन

By Team MyNation  |  First Published Jan 21, 2020, 6:28 PM IST

आरपीएफ के महानिदेशक अरूण कुमार ने बताया कि आरपीएफ ने देश में चल रहे ई-टिकटिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया है। क्योंकि इस गिरोह के तार दुबई और पाकिस्तान तक फैले हैं और इसका सरगना दुबई में बैठा है। फिलहार आपीएफ इसकी जांच कर रही है और गिरोह के सदस्यों का पता लगाया जा रहा है कि किस तरह से बैंकों और कंपनियों से पैसा भेजा जा रहा है।
 

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में ई-टिकटिंग के एक बड़े रैकेट का रेलवे सुरक्षा बल ने भंडाफोड़ किया है। इस रैकेट के तार पाकिस्तान और दुबई से जुड़े हुए हैं। आरपीएफ के मुताबिक इस रैकेट का कनेक्शन टेरर फंडिंग से भी है। क्योंकि जो तथ्य सामने आए हैं उसके मुताबिक इस रैकेट के लिंक दुबई, पाकिस्तान और बांग्लादेश में टेरर फंडिंग से जुड़े हैं। माना जा रहा है कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड दुबई में बैठा है और फिलहाल इस रैकेट के सदस्यों की जांच की जा रही है।

आरपीएफ के महानिदेशक अरूण कुमार ने बताया कि आरपीएफ ने देश में चल रहे ई-टिकटिंग रैकेट का भंडाफोड़ किया है। क्योंकि इस गिरोह के तार दुबई और पाकिस्तान तक फैले हैं और इसका सरगना दुबई में बैठा है। फिलहार आपीएफ इसकी जांच कर रही है और गिरोह के सदस्यों का पता लगाया जा रहा है कि किस तरह से बैंकों और कंपनियों से पैसा भेजा जा रहा है।

उन्होंने बताया कि रेलवे में अवैध टिकटों को लेकर आरपीएफ ने झारखंड के एक मदरसा से पढ़े एक सॉफ्टवेयर डेवलपर को गिरफ्तार किया था। जिसके टेरर फंडिंग से जुड़े होने की आशंका है। सॉफ्टवेयर डेवलपर गुलाम मुस्तफा को आरपीएफ ने भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से आईआरसीटीसी की 563 आईडी मिली हैं। वहीं एसबीआई की 2,400 शाखाओं और 600 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में इनके खाते होने का संदेह है।

उन्होंने बताया कि इस रैकेट का सरगना दुबई में बैठा हो सकता है वहीं गुलाम मुस्तफा से आईबी, स्पेशल ब्यूरो, ईडी, एनआईए, कर्नाटक पुलिस ने पूछताछ की है। पूछताछ के बाद साफ हुई है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग मामले में शामिल है। वहीं अरूण कुमार ने बताया कि इस गिरोह का सरगना हामिद अशरफ है और जो इस रैकेट के जरिए हर महीने 10-15 करोड़ रुपये कमाता है। हामिद अशरफ 2019 में उत्तर प्रदेश के गोंडा के स्कूल में हुए बम कांड में संलिप्त था। फिलहाल इसे आरपीएफ की बड़ी सफलता माना जा रहा है। क्योंकि ई टिकटिंग रैकेट हर साल रेलवे को अरबों का चूना लगा रहा है।
 

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