साल 2008 में यूपीए सरकार ने देश भर में अल्पसंख्यक बहुत 90 जिलों की पहचान की थी। भाजपा ने इन जिलों की 79 सीटों में से 41 सीटें जीती हैं।
भाजपा पर हमेशा यह आरोप लगता रहा है कि वह मुस्लिम विरोधी पार्टी है। हालांकि लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे इन दावों की पुष्टि नहीं करते। इन चुनाव में भाजपा ने 90 ‘मुस्लिम बहुल' जिलों की आधी से ज्यादा सीटें जीतकर इन दावों की हवा निकाल दी। खास बात यह है कि इन अल्पसंख्यक बहुल जिलों की पहचान 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने की थी।
ऐसे 79 निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा ने अधिकतम 41 सीटें जीतीं। यह 2014 के मुकाबले सात सीट ज्यादा थी। कांग्रेस के हिस्से आई सीटें लगभग आधी हो गईं और 2014 में जहां 12 सीटें थीं, वह अब महज छह रह गईं।
अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी अधिक होने के साथ ही इन जिलों में सामाजिक-आर्थिक एवं मूलभूत सुविधाओं के संकेतक राष्ट्रीय औसत से कम हैं। एक विश्लेषक ने दावा किया कि मुस्लिमों ने इस बार किसी एक पार्टी या एक उम्मीदवार के पक्ष में सामूहिक रूप से मतदान नहीं किया।
वहीं दूसरी तरफ 27 मुस्लिम उम्मीदवारों ने हाल में संपन्न चुनावों में जीत हासिल की। हालांकि भाजपा की ओर से उतारे गए छह में से केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार को ही जीत मिली। जीतने वाले मुस्लिम सांसदों में तृणमूल कांग्रेस के पांच, कांग्रेस के चार, सपा, बसपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस एवं इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के तीन-तीन, एआईएमआईएम के दो, लोजपा, राकांपा, माकपा एवं एआईयूडीएफ के एक-एक सदस्य शामिल हैं।
विपक्षी दल अल्पसंख्यकों के लिए कुछ खास नहीं करने और उन पर हमलों को बढ़ावा एवं सहयोग देने का आरोप भाजपा पर लगाते रहे हैं। देश के 130 करोड़ लोगों में लगभग 20 प्रतिशत मुस्लिम हैं।
मुस्लिम बहुल जिलों में भाजपा को सबसे अधिक लाभ पश्चिम बंगाल में मिला, जहां 18 ऐसी सीटें हैं। उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज में मुस्लिमों की आबादी 49 प्रतिशत है जहां भाजपा के देबश्री चौधरी को जीत मिली। वहीं मालदा उत्तर सीट पर पार्टी के खगेन मुर्मु ने तृणमूल की मौसम नूर को 84,288 मतों के अंतर से हराया। यहां 50 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है।
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कूचबिहार सीट पर भाजपा के नीसिथ प्रमाणिक ने अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी से बेहतर प्रदर्शन किया। इसके अलावा जलपाईगुड़ी, उत्तर दिनाजपुर जिले के बालुरघाट, बांकुरा में बिष्णुपुर लोकसभा सीट, हुगली सीट, वर्द्धमान-दुर्गापुर सीट पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत हासिल की।
यूपीए सरकार ने 2008 में एक विकास कार्यक्रम के तहत 90 अल्पसंख्यक बहुल जिलों की पहचान की थी जिसका मकसद इन जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कौशल विकास था। उत्तर प्रदेश में 20 लोकसभा सीटें ऐसी थीं जहां मुस्लिम मतदाताओं की खासी तादाद है।
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वहीं बिहार में ऐसी सात सीट हैं। अररिया (45 प्रतिशत) में भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह, कटिहार (40 प्रतिशत) में जदयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी, दरभंगा (23 प्रतिशत) में भाजपा के गोपाल जी ठाकुर, खगड़िया में लोजपा के मौजूदा सांसद महबूब अली कैसर, बांका (20 प्रतिशत) में जदयू के गिरिधारी यादव और मधुबनी (19 प्रतिशत) में भाजपा के अशोक यादव ने जीत हासिल की। (इनपुट एजेंसी)