नई दिल्ली: लगभग पचास साल के बाद पूरे देश ने एक साथ मिलकर पूर्ण बहुमत की सरकार को दुबारा जनादेश दिया हैं। मोदी जी के नेतृत्व में अकेले भाजपा की 303 सीटें आयीं हैं। देश ऐतिहासिक यात्रा पर चल पड़ा हैं। जात-पात के नाम पर वोट बांटने की राजनीति करने वाले अपने बेटों, अपनी पत्नी तक की सीटें नहीं बचा सकें। 

गांधी परिवार और सिंधिया खानदान तक अपनी पुश्तैनी सीटों पर हार गया।

देश की इस बदलाव के दौर में केवल एक बड़ा समूह हैं जो इस जीत में अपना योगदान नहीं बता पा रहा। वो हैं मुस्लिम समाज। जिस भी पार्टी ने जहां भी मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा, केवल और केवल मुस्लिम समाज के भरोसे लड़ा। राहुल गांधी को वायनाड तक जाना पड़ा कि मुस्लिम वोट उन्हें कम से कम संसद तक तो पहुंचा दे। 

अखिलेश हो या मायावती या नायडू या ममता बनर्जी या केजरीवाल, सब केवल मुस्लिम वोट लेने के लिए लड़ते रहे। क्या इनमें से किसी ने भी मुस्लिम समाज के लिए कुछ भी किया हैं? नहीं
देश के लिए कुछ भी किया हैं? नहीं

इनकी सबकी सारी राजनीति केवल इस बात टिकी हैं कि मोदी का डर दिखाओ और मुसलमान वोट एक साथ ले लो। लेकिन इस राजनीति में नुकसान किसका हो रहा हैं? अलग थलग कौन हैं? केवल मुस्लिम समाज।

जीतने के बाद, मोदी जी ने संसद में जो भाषण दिया - सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास - वो भाषण जरुर सुनिए। 

मोदी जी के लिए ऐसा बोलने की कोई मजबूरी नहीं थी। लेकिन उन्होंने देश के मुसलमानों की तरफ एक हाथ बढ़ाया हैं। अब आगे बढ़कर उस हाथ को थामने की जिम्मेदारी मुस्लिम समाज की हैं। 
मुस्लिम समाज आज तक केवल एक धर्म की तरह वोट करता आया हैं। अब समय आ गया हैं कि पूरे देश के साथ मिलकर एक देश की तरह वोट किया जाये। बदलते हुए देश के हिस्सेदार और भागीदार बनने के लिए अब वक्त आ गया हैं कि मुसलमान मोदी को वोट देना शुरू करें।

छिपकर छिपकर नहीं, जैसा कुछ मुसलमानों ने इस बार दिया। खुलकर , बताकर, डंके की चोट पर मुसलमानों को मोदी जी के लिए वोट करना चाहिए।
 
आपने सत्तर साल कांग्रेस और कांग्रेस के फोटोस्टेट दूसरे नेताओं को वोट देकर क्या पाया? केवल गरीबी और डर। क्या एक मौका मोदी को देकर नहीं देखना चाहिए वो भी तब जब वो आपके वोट के बिना भी सत्ता में तो हैं ही और अभी लंबे समय तक कोई दूसरा आने भी नहीं वाला। 

विकास में, काम में, मेहनत में उसके आसपास भी कोई दूसरा नेता पूरे देश मे नहीं हैं। पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की इज्जत बढ़ी हैं। यहां तक कि सऊदी अरब और यूएई की सरकारें भी मोदी को अपना दोस्त मानती हैं।

तो आखिर क्यों ना मुसलमान भी अब मोदी को ही वोट दें।

मैं एक प्रस्ताव रखता हूँ, एक छोटे से एक्सपेरिमेंट का प्रस्ताव। एक बार सारे मुसलमान मोदी को वोट देना शुरू करें। आगे बढ़कर मोदी का साथ दें। शुरुआत करके देखें।

इस एक्सपेरिमेंट की शुरुआत दिल्ली के चुनाव से की जाएं। छोटा सा शहर हैं। पहले से केंद्र और नगर निगम में भाजपा हैं। राज्य सरकार पूरी तरह फ़ेल हैं और केवल लड़ाई झगड़े और रोने पीटने में पांच साल बर्बाद हो चुके हैं।

इस बार दिल्ली के चुनाव में सारे मुसलमान खुलकर मोदी को वोट दें। इस मकसद से वोट दे कि जैसे गुजरात और बनारस में बदलाव आया हैं वैसे ही मोदी के हाथ मे देश की राजधानी सौंपकर देखी जाएं।

दिल्ली का चुनाव देश का वो पहला चुनाव बन जाएं जिसमे हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई, पारसी, जैन, बौद्ध सब मिलकर देश के लिए, विकास के लिए , विश्वास के लिए एक साथ वोट डालें। 
मैं इस प्रस्ताव को लेकर दिल्ली ले अलग अलग मुस्लिम इलाको में भी जाऊंगा। मुझे भरोसा हैं दिल्ली के मुसलमान पूरे देश के लिए एक नजीर पेश करेंगे। एक ऐसा जनादेश मोदी के हाथ मे देंगे कि फिर दिल्ली को दुनिया की सबसे बेहतरीन राजधानी बनने से कोई नहीं रोक पायेगा। 

कपिल मिश्रा
(लेखक दिल्ली से विधायक हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी। लेकिन बाद में केजरीवाल पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने पर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था।)