उज्जवला योजना, पीएम आवास योजना और शौचालय जैसी पहल ने महिलाओं के बीच पीएम मोदी की छवि को और मजबूत किया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, उत्तराखंड में इन योजनाओं का खासा असर दिखा है। इन जगहों पर महिलाओं वोटिंग प्रतिशत बढ़ना भाजपा के लिए अच्छी खबर हो सकती है। पांच साल महंगाई के काबू में रहने का फायदा भी भाजपा को मिल रहा है।
2019 के सियासी समर के आधे सफर के बाद ही भाजपा सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त हो गई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आत्मविश्वास के साथ दावा किया है कि पार्टी बड़े अंतर से लोकसभा का चुनाव जीत रही है। वह केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे। पीएम मोदी के नामांकन से पहले वाराणसी पहुंचे शाह ने यहां भाजपा के मीडिया सेंटर की शुरुआत के बाद कहा, 'मैं तीन चरण की वोटिंग के बाद आश्वस्त हो गया हूं कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में अगली सरकार बनाने जा रही है।'
दरअसल, अमित शाह के इस दावे की बड़ी वजह महिला वोटरों को माना जा सकता है। पीएम मोदी की महिलाओं में बहुत अच्छी छवि है। मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान महंगाई काबू में रहने से महिलाओं को राहत मिली है। यही वजह है कि तीन चरणों में हुई वोटिंग के दौरान महिलाएं खुलकर मतदान करने निकली हैं। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में उज्जवला योजना, पीएम आवास योजना और शौचालय जैसी पहल ने महिलाओं के बीच पीएम मोदी की छवि को और मजबूत किया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, उत्तराखंड में इन योजनाओं का खासा असर दिखा है।
पिछले 70 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि महिलाओं ने वोटिंग के मामले में पुरुषों को पीछे कर दिया है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक पहले और दूसरे चरण में वोटिंग टर्नआउट के मामले में महिलाएं पुरुषों से आगे रही हैं। यह ट्रेंड तीसरे चरण में भी बना रहा।
पुरुषों से ज्यादा महिलाएं निकली वोटिंग को
चुनाव आयोग के शुरुआती 2 चरणों के आंकड़ों के मुताबिक, पहले चरण में महिलाओं का मत प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले आधा फीसदी अधिक रहा। वहीं दूसरे चरण में महिलाओं का वोटिंग टर्नआउट 0.14 प्रतिशत ज्यादा है। पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को हुए चुनाव में उत्तराखंड में महिलाओं का वोटिंग टर्नआउट पुरुषों के मुकाबले 5 फीसदी अधिक दर्ज किया गया। दूसरे नबंर पर मेघालय रहा, जहां पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वोटिंग टर्नआउट 4.67 फीसदी अधिक रहा। आंकड़ों के मुताबिक पहले चरण में महिलाओं का कुल मत प्रतिशत 68.53 प्रतिशत रहा। वहीं पुरुषों का मत प्रतिशत 68.02 फीसदी दर्ज किया गया। दूसरे चरण महिलाओं का मत प्रतिशत 69.21 और पुरुषों का मत प्रतिशत 69.07 रहा।
2014 का चुनाव था गेम चेंजर
1977 से 2009 के बीच भारत में महिलाओं के वोटिंग का कमोबेश एक समान पैटर्न ही देखने को मिलता रहा है। यह कभी भी 60 प्रतिशत के स्तर के पार नहीं गया। इस अवधि में सबसे बड़ा रिकॉर्ड 1984 में में बना। तब 58.6 प्रतिशत महिलाएं वोटिंग के लिए बाहर निकली थीं। यूपीए जब 2009 में सत्ता में लौटी तब 55.8 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान में हिस्सा लिया था। महिलाओं की चुनावों की भागीदारी में गेम चेंजर साल 2014 रहा। तब मोदी लहर के दौरान 65.5 प्रतिशत महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। साल 2009 में जहां 19.1 करोड़ महिलाओं ने अपना वोट डाला था। 2014 में यह संख्या बढ़कर 26.02 करोड़ पहुंच गई थी। उस समय कुल महिला वोटरों की संख्या 39.7 करोड़ थी।
यूपी विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने दिखाई ताकत
साल 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ऐतिहासिक जीत का आधार महिला वोटर रहीं थीं। साल 2017 के यूपी विधानसभा चुनावों में कुल 63.31 महिलाओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इससे पहले 2012 में 60.28 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाले थे। यही वजह थी यूपी में 2017 में कुल मत प्रतिशत बढ़कर 61.24 हुआ और भाजपा प्रचंड जनादेश के साथ सूबे की सत्ता में लौटी।
इस बार भी महिलाएं ही होंगी गेम चेंजर
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जितने भी विधानसभा चुनाव हुए, उनमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने कमोबेश ज्यादा मतदान किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 43.13 करोड़ महिला वोटर्स हैं। अभी तक के ट्रेंड के मुताबिक, पहले चरण में उत्तराखंड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, लक्षदीप, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा संख्या में मतदान किया। उत्तराखंड में पहले चरण में सबसे अधिक अंतर देखा गया क्योंकि राज्य में 58.77 प्रतिशत के साथ सीमित पुरुषों की तुलना में 64.45 प्रतिशत महिलाओं का मतदाता मतदान हुआ। पहले चरण में 18 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की 91 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ था।
दूसरे चरण में 12 राज्यों में 95 सीटों के लिए मतदान हुआ। इसमें भी कुल 69.21 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। यह पुरुषों के 69.07 प्रतिशत से अधिक है। दूसरे चरण में बिहार में महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच का अंतर 5.96% था। मणिपुर, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, पुड्डुचेरी और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या में क्रमश: 4.20%, 2.31%, 0.84%, 0.83% और 0.34% का इजाफा देखने को मिला।
कैसे होती है मत प्रतिशत की गणना
मतदाता सूची में जितने लोगों का नाम दर्ज है उनमें से कितने लोगों ने वोटिंग की, उसे ही मत प्रतिशत कहा जाता है। महिलाओं के आगे निकलने का अर्थ यह है कि जितनी महिलाएं और पुरुष वोटर लिस्ट में शामिल थे, उनमें से किसने अपनी संख्या के हिसाब से ज्यादा वोट किया है।