विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा के सभी ‘मजबूत किले’ ध्वस्त हो गए थे। यहां तक कि राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चुनाव हार गए थे। रघुवर दास को पार्टी के बागी सरयू राय ने हराया था। लिहाजा अब भाजपा राज्य में किसी नए चेहरे के जरिए पार्टी को मजबूत करना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने आदिवासी चेहरे पर दांव खेलने की योजना बनाई है।
रांची। झारखंड में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब भारतीय जनता पार्टी नए चेहरे पर दांव खेलेगी। ताकि अगले विधानसभा चुनाव में मजबूती से सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा जा सके। चर्चा है कि भाजपा अपने पुराने नेता बाबूलाल मरांडी पर दांव खेल सकती है। हालांकि मरांडी की ये घर वापसी होगी। क्योंकि कुछ साल पहले उन्होंने भाजपा से बगावत कर अपनी पार्टी बना ली थी।
विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा के सभी ‘मजबूत किले’ ध्वस्त हो गए थे। यहां तक कि राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी चुनाव हार गए थे। रघुवर दास को पार्टी के बागी सरयू राय ने हराया था। लिहाजा अब भाजपा राज्य में किसी नए चेहरे के जरिए पार्टी को मजबूत करना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने आदिवासी चेहरे पर दांव खेलने की योजना बनाई है। हालांकि भाजपा ने गैर आदिवासी मुख्यमंत्री का प्रयोग किया था। जो विफल हो चुका है। जिसके कारण भाजपा राज्य की सत्ता से बेदखल हुई है।
अब राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी की भाजपा में वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि मरांडी अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) का भाजपा में विलय करा सकती है। भाजपा के नेतृत्व मरांडी के संपर्क में हैं। फिलहाल मरांडी अपने करीबी नेताओं से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में झाविमो ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में उसे आठ सीटें मिली थी।
हालांकि बाद में उसके छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। हालांकि अगर झाविमो के भाजपा में विलय होने से राज्य के विधानसभा में भाजपा की ताकत बढ़ेगी। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था जबकि जेएमएम और कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई है।