एनसीपी राज्य में डिप्टी सीएम का पद अपने पास रखना चाहती है। जबकि कांग्रेस डिप्टी सीएम या फिर स्पीकर के पद पर दावा कर रही है। वहीं गठबंधन बनने के वक्त इस बाद को सहमति बनी थी क राज्य में दो डिप्टी सीएम होंगे। जबकि स्पीकर का पद कांग्रेस के खाते में जाएगा। लेकिन अभी तक इस मामले में किसी तरह का फैसलानहीं हो सका है।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही तीन दलों के गठबंधन में खटपट शुरू हो गई है। अब पेंच विधानसभा अध्यक्ष-डेप्युटी सीएम को लेकर शुरू हो गया है। राज्य में दो डिप्टी सीएम और एक विधानसभा अध्यक्ष के लिए अभी तक कोई सहमति नहीं बन सकी है। हालांकि माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक इस बारे में कोई सहमति बन सकती है।
एनसीपी राज्य में डिप्टी सीएम का पद अपने पास रखना चाहती है। जबकि कांग्रेस डिप्टी सीएम या फिर स्पीकर के पद पर दावा कर रही है। वहीं गठबंधन बनने के वक्त इस बाद को सहमति बनी थी कि राज्य में दो डिप्टी सीएम होंगे। जबकि स्पीकर का पद कांग्रेस के खाते में जाएगा। लेकिन अभी तक इस मामले में किसी तरह का फैसलानहीं हो सका है। आज राज्य सरकार सदन में अपना बहुमत सिद्ध करेगी और कल विधानसभा अध्यक्ष का नियुक्त किया जाएगा। लिहाजा तीन दलों को विधानसभा अध्यक्ष के लिए आज ही फैसला लेना है।
असल में दो दिन पहले राज्य के सीएम उद्धव ठाकरे ने सीएम के पद की शपथ ली थी। जिसके बाद राज्य में डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के लिए फैसला होना है। राज्य सरकार ने आज से ही दो दिन का विशेष सदन बुलाया है। जिसमें आज शिवसेना सरकार को शपथ लेनी है। वहीं कल विपक्ष के नेता का भी चुनाव होगा। हालांकि ये पहले से तय है कि ये पद भाजपा के खाते में जाएगा। क्योंकि राज्य में भाजपा के 105 विधायक हैं। उधर माना जा रहा है कि सरकार में सहयोगी एनसीपी की अंदरूनी राजनीति के चलते यह उप मुख्यमंत्री का पद कांग्रेस की झोली में जा सकता है। क्योंकि इस पद पर पहले अजित पवार का नाम चल रहा था।
लेकिन बीच में हुए राजनैतिक घटनाक्रम के बाद माहौल बदल गया है। यही नहीं इस बाद की भी संभावना दिख रही है कि एनसीपी कांग्रेस को उप मुख्यमंत्री का पद देकर विधानसभा अध्यक्ष के पद को अपने हाथ में ले सकती है। गौरतलब है कि महाविकास आघाडी एनसीपी के वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटील को विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है जबकि इससे पहले भाजपा ने वरिष्ठ विधायक कालीदास कोलंबकर को इस पद पर नियुक्त किया था।