गठबंधन से फायदा उठाने के बाद मायावती की नजर 2022 चुनावों पर

By Dheeraj Upadhyay  |  First Published Jun 26, 2019, 5:44 PM IST

बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में ये साफ संकेत दे दिये हैं एक बार फिर पार्टी संगठन में बदलाव किया जाएगा। वहीं विधानसभा चुनाव 2022 कि तैयारियों में मुस्लिम और दलित  नेताओं को अहम ज़िम्मेदारी दी जा सकती है।

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने लोक सभा चुनाव 2019 में 10 सीटें हासिल करने के पश्चात भी समाजवादी पार्टी (एसपी) से महागठबंधन तोड़कर ये साफ संकेत दे दिये है की उनकी नजर 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावों पर है। गठबंधन से मिली राजनीतिक संजीवनी के बाद मायावती ने अगले चुनाव लिए तैयारियाँ अभी से शुरू कर दी है। वहीं महागठबंधन तोड़ने के ऐलान के बाद आए उनके बयानों से स्पष्ट संकेत मिलता है की उनकी नजर सर्व समाज के साथ मुस्लिम, दलित, व पिछड़े वोट बैंक पर है।

 पार्टी में मुस्लिम और गैर दलित बिरादरियों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाने के बाद उनका ये बयान देना कि “ एसपी प्रमुख अखिलेश नहीं चाहते थे कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन में मुस्लिम प्रत्याशियों को अधिक सीटें दें”। इस बात के संकेत है मायावती का लक्ष्य 2022 यूपी विधान सभा चुनाव है। वहीं दूसरी तरफ मायावती ने बीएसपी छोड़ अन्य पार्टियों में गए अपने नेताओं के दोबारा पार्टी में आने का रास्ता भी साफ किया है, जिससे संगठन मजबूत बनाया जा सके। हालांकि बीएसपी और माया विरोधी बयान देने वाले नेताओं को वापस लेने को बिलकुल तैयार नहीं हैं। चुनाव से पहले बहुत सारे नेता और कार्यकर्ता ने एसपी और बीजेपी का दामन थामा था।

मायावती ने एसपी से गठबंधन खत्म करने के तुरंत बाद एक साथ कई बड़े संदेश देने की कोशिश की है। उन्होने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी में शामिल हुए और अमरोहा से सांसद बने दानिश अली को नेता लोकसभा बनकर मुस्लिम समुदाय को साधने के साथ पार्टी का उप मुख्य सचेतक श्याम सिंह यादव को बनाकर यादवों को भी ये संदेश दिया है कि केवल एसपी ही नहीं वो भी उनकी हितैषी है।

बीएसपी सुप्रीमो फिर एक बार सोशल एंजीनीयरिंग के सहारे ये दिखा रही है कि वो अन्य जातियों को भी साथ लेकर चलना चाहती हैं। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ में ये साफ संकेत दे दिये हैं एक बार फिर पार्टी संगठन में बदलाव किया जाएगा। वहीं विधानसभा चुनाव 2022 कि तैयारियों में मुस्लिम और दलित  नेताओं को अहम ज़िम्मेदारी दी जा सकती है।

उन्होने उत्तर प्रदेश में 12 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में हर विधान सभा में पार्टी द्वारा “भाई चारा कमेटियाँ” गठित करने का निर्णय लिया है जिससे मतदाता से पार्टी का संपर्क हमेशा बना रहे। भाईचारा कमेटियों में सभी जतियों के साथ अल्पसंख्यकों, पिछड़ों को भी जोड़ने का निर्देश दिया गया है। मायावती चाहती है कि वो सपा कि निष्क्रियता का फायदा उठाकर अपने संगठन को और मजबूत करे ताकि 2022 में भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके। इसके सात वो प्रदेश के मुसलमानों को ये  संदेश भी दे रही है कि उनकी सबसे बड़ी हितैषी बीएसपी ही है।

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