गांव की सड़क और स्कूल होगा सुबोध कुमार के नाम पर, होमलोन भी चुकाएगी राज्य सरकार। सीएम के आवास पर हुई मुलाकात।
बुलंदशहर में गौवंश के अवशेष मिलने के बाद भड़की हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के परिवार से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुलाकात की। योगी ने आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार उनकी पूरी मदद करेगी।
योगी ने उनके गांव में एक सड़क और एक स्कूल का नाम सुबोध कुमार के नाम पर करने का भरोसा दिया। इसके साथ ही सुबोध कुमार के परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाएगी। बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च भी सरकार उठाएगा। मकान का बकाया कर्ज भी राज्य सरकार द्वारा उठाए जाने की बात कही गई है। हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर के परिवार को को राज्य सरकार की ओर से 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि पहले ही देने की घोषणा की जा चुकी है।
बृहस्पतिवार सुबह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने सरकारी आवास 5 कालिदास मार्ग पर दारोगा के परिजनों से मुलाकात की। सुबोध कुमार की पत्नी और दो बेटों के साथ उनके परिवार के अन्य लोग सीएम योगी से मिलने पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री से सुबोध की पत्नी ने कहा, 'मेरे पति घर जल्दी नहीं आ पाते थे तो वह थाने पर हमें बुला लिया करते थे। कहते थे तुम्हें और बच्चों को देखने का बहुत मन होता है। हिंसा से दो दिन पहले हम उनसे मिलने गए थे, तो कोतवाली में तीन लोगों को गोकशी के आरोप में पकड़कर लाया गया था। उस वक्त स्याना के विधायक का उनके पास फोन आया था।'
शहीद इंस्पेक्टर की पत्नी ने इससे पहले आरोप लगाया था, 'मेरे पति को अक्सर धमकियां मिलती रहती थीं। वह अखलाक केस की जांच कर रहे थे इसलिए उन पर हमला हुआ। यह एक सोची समझी-साजिश थी।' इससे पहले सुबोध कुमार सिंह की बहन ने भी पुलिस पर सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके भाई को पुलिस ने मिलकर मरवाया है।
सोमवार को बुलंदशहर हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की गोली लगने से मौत हो गई थी। जिसके बाद मंगलवार की सुबह सुबोध कुमार सिंह का पार्थिव शरीर एटा पुलिस लाइन पहुंचा। यहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम सलामी दी गई। पुलिस लाइन से उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव तिरिगवां लाया गया। हालांकि परिवार के लोग पहले इसके लिए सीबीआई जांच और सरकार द्वारा सुबोध कुमार को शहीद का दर्जा देने की मांग कर रहे थे। परिजनों का ये भी कहना था कि अगर राज्य सरकार उन्हें शहीद का दर्जा नहीं देती है तो वे उनका अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। हालांकि बाद में अफसरों द्वारा उन्हें मनाए जाने के बाद उन्होंने अपनी मांग वापस ले ली थी।