चुनाव नतीजों से पहले मुलायम और अखिलेश को CBI से मिली क्लीनचिट

By Gopal K  |  First Published May 21, 2019, 3:25 PM IST

याचिकर्ता ने यह भी कहा कि हम सिर्फ रेपोरी मांग रहे है सीबीआई को रिपोर्ट देने में क्या परेशानी है। याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कोर्ट से मांग की थी कि वो सीबीआई से मामले की प्रगति रिपोर्ट ले। 2008 में सीबीआई ने कहा था इस केस में केस दर्ज होने लायक सबूत मिलने की बात कही थी। 
 

Cbi clean chit to Mulayam and akhilesh in disproportionate asset case

सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव उनके बेटे और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित अन्य के खिलाफ दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल किया है। सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा है कि 7 अगस्त 2013 को सीबीआई इस केस की जांच बंद की जा चुकी है। 

सीबीआई के मुताबिक शुरुआती जांच में किसी संज्ञेय अपराध की पुष्टि नही हुई है। वही याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि सीबीआई अब तक दर्जनों बार कह चुकी है कि केस नही बनता जबकि सीबीआई खुद अपने हलफनामे में कह चुकी है कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में कुछ नए तथ्य सामने आए है तो फिर सीबीआई जांच क्यों नही कर रही है। 

याचिकर्ता ने यह भी कहा कि हम सिर्फ रेपोरी मांग रहे है सीबीआई को रिपोर्ट देने में क्या परेशानी है। याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कोर्ट से मांग की थी कि वो सीबीआई से मामले की प्रगति रिपोर्ट ले। 2008 में सीबीआई ने कहा था इस केस में केस दर्ज होने लायक सबूत मिलने की बात कही थी। 

यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील विश्वथान चतुर्वेदी ने दायर की है। याचिका में सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह या तो सुप्रीम कोर्ट या मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष आय से अधिक संपत्ति मामले की रिपोर्ट पेश करे। 

याचिकाकर्ता विश्वथान चतुर्वेदी ने 2005 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी, वह मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव उनकी पत्नी डिंपल यादव और मुलायम सिंह के एक अन्य बेटे प्रतीक यादव के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग कर कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोत का दुरुपयोग कर कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत उचित कार्रवाई करे। 

सुप्रीम कोर्ट ने एक मार्च 2007 के अपने फैसले में सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह आरोपों की जांच करे और यह पता लगाए कि समाजवादी पार्टी के नेताओं की आय से अधिक संपत्ति के संदर्भ में लगाये गए आरोपी सही है या नही।
 

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