कैश जमाखोर, सावधान! आ सकता है नकदी लेन-देन पर सरकार का नया फरमान

By Team MyNation  |  First Published Mar 2, 2019, 12:50 PM IST

अगर आप बैंक के बजाए अपने घर में कैश रखना सुरक्षित मानते हैं तो जल्द ही इस कैश को बैंक में जमा करा लें। क्योंकि घर में कैश रखने से आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। असल में केन्द्र सरकार जल्द ही कैश को लेकर नया आदेश देने जा रही है। जिससे घर पर एक निश्चित सीमा के बाद कैश रखने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है। 

नई दिल्ली | अगर आप बैंक के बजाए अपने घर में कैश रखना सुरक्षित मानते हैं तो जल्द ही इस कैश को बैंक में जमा करा लें। क्योंकि घर में कैश रखने से आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केन्द्र सरकार जल्द ही कैश को लेकर नया आदेश देने जा रही है। जिससे घर पर एक निश्चित सीमा के बाद कैश रखने वालों के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है। 

अगले लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग काफी सजग है। देश में चुनाव के दौरान बड़ी मात्रा में कैश का लेनेदेन होता है। चुनाव आयोग की तय सीमा से ज्यादा प्रत्याशी चुनाव में खर्च करते हैं। हालांकि चुनाव आयोग की टीम इस पर नजर रखती है, प्रत्याशी हर बार नए तरीके निकाल लेते हैं। लिहाजा अब चुनाव आयोग की सिफारिश पर केन्द्र सरकार आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा फैसला करने जा रही है। इस फैसले के बाद घर में एक तय सीमा से ज्यादा कैश रखना या फिर लेनदेन करना गैरकानूनी माना जाएगा।

चुनाव में कैश में मोटी रकम रखने या फिर इसके लेनदेन पर तुरंत पाबंदी लगाई जाने की तैयारी चल रही है। असल में कालेधन पर बनी एसआईटी के चेयरमैन ने वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले नए नियम बनाकर कर चुनावों में प्रयोग होने वाले धन पर रोक लगाई जाए। वहीं चुनाव आयोग भी चुनाव में कैश को लेकर कई तरह के फैसले कर चुका है। जिसका असर पिछले कुछ चुनावों में बड़े स्तर पर देखने को मिला है। वहीं एसआईटी ने तीन लाख से ज्यादा नकद लेन देन पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की है। वहीं 15 लाख से ज्यादा नकद रखने पर पाबंदी लगाने को कहा है।

हाल ही में केन्द्र सरकार संसद में ये साफ कर चुकी है कि उसके पास विदेशों में जमा कालेधन के बारे में कोई आंकड़ा नहीं है। जबकि इसके साथ ही देश में भी कालेधन पर कोई सटीक अनुमान नहीं है। गौरतलब है कि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद केन्द्र सरकार ने बेनामी संपत्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई थी। लेकिन इसमें बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली। जबकि 2016 में सरकार ने नोटबंदी की ताकि कालेधन और नकली नोटों पर पर रोक लगाई जा सके।

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