चंबल में फिर गूंजेगी मलखान सिंह की दहाड़…

By Team Mynation  |  First Published Aug 13, 2018, 1:15 PM IST

6 फीट लंबा कद, रौबदार चेहरा, गठीला बदन, शेर की तरह दहाड़, चेहरे से बाहर निकलती मूंछें, खाकी वर्दी, एक हाथ में अमेरिकन सेल्फ लोडिंग राइफल तो दूसरे हाथ में लाऊडिस्पकर। 70 के दशक में ये चेहरा खौफ की तस्वीर बना रहा। चंबल के शेर के नाम से पहचाने जाने वाले इस खूंखार डाकू का नाम मलखान सिंह था।

1983 तक चंबल के बीहडों में राज करने वाले डाकू मलखान सिंह पर 32 पुलिसकर्मियों सहित 185 लोगों की हत्या करने का आरोप था। साल 1983 में अर्जुन सिंह की सरकार में भले ही मलखान सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया लेकिन आज भी चंबल इलाके में मलखान सिंह का रसूख कम नहीं है। कुछ ही दिनों के भीतर फिर मलखान की दहाड़ चंबल-ग्वालियर इलाके में गूंजेगी। इस बार मलखान की दहाड़ बगावती नहीं बल्कि खुद सरकार की आवाज ही इन दहाडों में गूजेंगी। मलखान सिंह रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ गुना में मंच साझा करते दिखाई दिए।


मलखान सिंह खंगार जाती के हैं। 80-90 के दशक में गांव के ज्यादातर चौकीदार इसी जाती के होते थे। पहले गांव का चौकीदार किसी कलक्टर से कम रुतबे वाला नहीं होता था। इन्हें ग्राम सरकार की नजर से देखा जाता था। इनका अपना वजूद और बोलबाला होता था। आज भी कई गांवों में खंगार जाती के लोग ही परंपरागत चौकीदार हैं। ग्वालियर-चंबल में खंगार जाती के लोगों का खासा प्रभाव है। शिवपुरी जिले की करेरा विधानसभा में 15-16 हजार का वोट बैंक है। खंगार, जीती हुई बाजी को पलट सकते हैं। करेरा ऐसी अकेली सीट नहीं है, जहां खंगारों का प्रभाव या बाहुल्य हो। ग्वालियर-चंबल की 34 सीटों में से कई सीटों पर खंगार जाती का वोट बैंक ही उनका भाग्यविधाता हैं। बस एक हूंकार की जरुरत हैं। इसी हूंकार को दहाड़ बनाने के लिए बीजेपी ने मलखान सिंह के चेहरे को चुन लिया है। बीजेपी ग्वालियर-चंबल संभाग से सिंधिया घराने को हर कीमत पर किनारे करना चाहती है। सिंधिया से आशय ज्यातिरादित्य सिंधिया के साथ ही यशोधरा सिंधिया से भी है। बीजेपी इस बार यशोधरा का टिकट काटने की भी फिराक में है। यह आशंका खुद यशोधरा ही जता चुकी हैं। शिवपुरी की करेरा सीट से पिछले चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई थी। कैसे भी हो बीजेपी इन सीटों को हथियाना चाहती है।


रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान की जनआशीर्वाद यात्रा गुना पहुंची। गुना के मंच पर मुख्यमंत्री की दूसरी पंक्ति में पूर्व डकैत मलखान सिंह बैठे दिखाई दिए। मलखान सिंह का मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा करना यह साबित करता है कि अब बीजेपी मलखान के आसरे अपनी चुनावी बिसात ग्वालियर-चंबल में बिछाएगी।


50 सालों तक कांग्रेस ने ऐसे हालात बना दिए थे कि वे ही नहीं कई लोग चंबल के बीहडों में बागी बने। पिछले 15 सालों में शिवराज की सरकार में एक भी सूचीबद्ध गिरोह नहीं है। तब से अब तक के दौर को याद करते हुए मलखान सिंह कहते हैं कि “ मैं अर्जुनसिंह की इज्ज़त करता हूं लेकिन शिवराज सिंह अच्छा काम कर रहे हैं। उनकी भाषा-शैली मुझे बहुत पसंद है। काम करने का तरीका भी। वे धार्मिक काम कर रहे हैं। ग्वालियर-चंबल इलाके की सभी 34 सीटों पर खंगार जाती के 15-18 हजार वोटर हैं। इस चुनाव में मैं जाऊंगा और लोगों को जोडूंगा। शिवराज सरकार में कलेक्टरों का काम अच्छा नहीं है। इन्हें ठीक करना पडेगा। मैं अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लडाई लडता हूं। बागी हुआ था तब भी लडाई लडी थी और अब भी लडाई लडूंगा। मैं टिकट का लालसी नहीं हूं। मैं तो टिकट मिलने वालों के लिए प्रचार करूंगा। कलेक्टरों का काम मुझे पसंद नहीं है इसी तरह आरक्षण का मुद्दा भी जाती के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक स्थिती पर होना चाहिए। मैं कभी डाकू नहीं बल्कि बागी रहा हूं”।

पुष्पेन्द्र वैद्य की रिपोर्ट

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