चंद्रयान-3 बना दुनिया का 'BOSS', अमेरिका ने मांगी भारत के लिए दुआ

By Anshika Tiwari  |  First Published Aug 22, 2023, 1:44 PM IST

Chandrayaan mission live update:  चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए बिल्कुल तैयार है। 23 अगस्त को पूरी दुनिया की नजरें भारत इस मिशन पर टिकी होंगी। चंद्रयान-3 मिशन के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESA भी भारत के इस मिशन पर कामयाब बनाने में ISRO का साथ दे रही है। 

न्यूज डेस्क। चंद्रयान-3 चांद की सतह पर लैंडिंग के लिए बिल्कुल तैयार है। 23 अगस्त को पूरी दुनिया की नजरें भारत इस मिशन पर टिकी होंगी। बुधवार को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडर मॉड्यूल की चांद पर लैंडिंग होगी। इसके बाद रोवर चांद में मौजूद कई रहस्यों का पता लगाएगा और वहां मौजूद खनिजों का डेटा इसरो को भेजेगा। इससे इतर चंद्रयान-3 मिशन के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी ESA भी भारत के इस मिशन को कामयाब बनाने में ISRO का साथ दे रही है। 

NASA क्यों कर रहा ISRO की मदद ?

बता दें, भारत के तीसरे मून मिशन को सफल बनाने में नेशल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के अलावा अन्य विदेशी अंतरिक्षा एजेंसियां भी मदद कर रही हैं। आपके मन में भी सवाल होगा कि आखिर ये एजेंसियां भारत की मदद क्यों और कैसे कर रही हैं? साइंस का कोई दुश्मन नहीं होता है। भारत के पास ऐसी कई किफायती टेक्लनोलॉजी हैं जो नासा के बेहद काम आ सकती हैं। वहीं नासा चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद से स्पेसक्राफ्ट की हेल्थ की निगरानी रखने के लिए इसरो से साथ संपर्क में है। 

 

किस तरह भारत के लिए मददगार साबित हो रहा नासा ?

इसरो को NASA की ओर से मदद मिल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिशन के लिए नासा के कैलिफोर्नियां में DSAN COMPLEX से जानकारी मिल रही है क्योंकि यह पृथ्वी पर भारत के दूसरी ओर स्थित है। ऐसे में जब भारत में स्पेस स्टेशन से चांद नहीं दिखाई देगा तो यहीं से जानकारी इकट्ठा कर इसरो को भेजी जाएगी। इसके साथ ही नासा डॉपलर इफेक्ट यानी स्पेसक्राफ्ट के रेडियो सिग्नल को मॉनीटर कर रहे हैं। जो स्पेसक्राफ्ट को नेविगेट करने में मदद करता है। चांद की सतह पर उतरने के दौरान ये जानकारी काफी अहम हो जाती है। इससे ये पता चलता है कि रियल टाइम में यान कैसे काम कर रहा है। 

यूरोपीय एजेंसी ESA बनी मैसेंजर

NASA के साथ यूरोपीय स्पेस एजेंसी ESA भी भारत की मदद कर रहा है। स्पेस एजेंसी ESA का कौरौ, फ्रेंच गुयाना में स्थित 15 मीटर लंबा एंटिना और यूके के गोनहिली अर्थ स्टेशन में स्थापित 32 मीटर लंबे एंटिना को तकनीक क्षमताओं का साथ देने के लिए चुना गया है। ESA दोनों स्टेशनों के जरिए उपग्रह में उसकी कक्षा में ट्रैक करता है। ये दोनों स्पेस स्टेशन लगातार इसरो की बैंगलुरु स्थित टीम से संपर्क में हैं और दोनों जरुरी डाटा भारत को उपलब्ध कर रहा हैं। 

भारत के साथ अमेरिका के लिए जरुरी है ये मिशन 

चंद्रयान-3 लूना-25 के क्रैश होने के बाद साउथ पोल पर लैंड करने की लिस्ट में अकेला है। चूंकि चंद्रयान-3 के बाद नासा का आर्टेमिस मिशन और यूरोपीय एजेंसी का मून मिशन भी इस रेस में शामिल है। इसलिए दोनों NASA और यूरोपीय एजेंसी की नजरें इस मिशन पर टिकी हैं ताकि वह अपने मिशन के लिए चंद्रयान-3 से मिली जानकारियों का लाभ उठा सकें। इसके साथ ही हाल में इसरो ने नासा के आर्टेमिस समझौते पर साइन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका ने खुद इस बात को स्वीकारा है कि चंद्रयान-3 से इकट्ठा की गई जानकारी आर्टेमिस मिशन के लिए काफी मददगार होगी। 

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