लूना-25 के क्रैश होने से रूस में हड़कंप, पानी में बहे इतने मिलियन डॉलर

By Anshika Tiwari  |  First Published Aug 22, 2023, 12:59 PM IST

भारत से पहले चांद पर पहुंचने का सपना देख रहे रूस (Russia) का सपना अब चकनाचूर हो चुका है। रविवार को रूस का लूनर मिशन लूना-23 (luna-25) क्रैश कर गया। वहीं इस घटना के बाद रूस में हड़कंप मच गया है। 

न्यूज डेस्क। भारत से पहले चांद पर पहुंचने का सपना देख रहे रूस (Russia) का सपना अब चकनाचूर हो चुका है। रविवार को रूस का लूनर मिशन लूना-23 (luna-25) क्रैश कर गया। 1976 के बाद रूस ने पहली बार चांद पर जाने का मिशन लॉन्च किया था। लैंडिंग से पहले luna-25 को आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ था। ये मिशन रूस के लिए काफी अहम था। एक तरफ दुनिया भर में लगे प्रतिबंधों के बीच रूस खुद को साबित करना चाहता था हालांकि उसके इस प्लान पर फिर गया। लूना-25 के क्रैश होने से रूस को बड़ा झटका लगा है। हालत तो गई कि मिशन में काम करने वाले प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

लूना-24 के क्रैश होने से लगा झटका

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 90वर्षीय मिखाइल मारोव को मिशन के क्रैश होने का इतना बड़ा झटका लगा कि वह बीमार हो गए और उन्हें मास्को स्थित अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। बताया जा रहा है, मारोव ने सोवियत संघ के लिए पिछले कई अहम मिशनों में अपना योगदान दिया है और लूना-25 उनके जीवन का अहम मिशन था। वह रूस की चांद के साउथ पोल पर उतरते देखना चाहते थे हालांकि ये हो नहीं सका। 

लूना-25 के लिए 200 मिलियन डॉलर का बजट

एक तरफ भारत जहां चंद्रयान-3 को बड़े किफायती बजट के साथ लॉन्च करने में सफल रहा तो दूसरी रूस ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन लूना-25 के लिए करोड़ों का बजट जारी किया था। हालांकि इसकी कोई ऑफिशियल जानकारी नहीं है,कि कितने करोड़ के बजट को मंजूरी दी गई थी लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस मिशन के लिए 200 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। यह निवेश यान की स्पेशल डिजाइन और फंक्शनलिटी पर किया गया था। इस मिशन के फेल होने से रूस  के 200 करोडट रुपए पानी में चले गए। 

किस वजह से क्रैश हुआ लूना-25? 

हमेशा से स्पेस में नई रहस्यों की खोज करने ही होड़ देखी गई है। सौरमंडल में चंद्रमा पृथ्वी का सबसे निकटतम खगोलीय पिंड हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और रूस में स्पेस युद्ध की शुरुआत हुई। 1955 में सोवियत रूस ने सोवियत स्पेस कार्यक्रम की शुरुआत की तो वहीं 1958 में अमेरिका ने नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एजेंसी यानी नासा की शुरुआत की। हालांकि सोवियत संघ के टूटने के बाद 1976 के बाद रूस ने चांद पर कोई मिशन नहीं भेजा था। 48 सालों बाद रूस ने चांद पर लैडिंग का सपना देखा था लेकिन वो टूट चुका है। इसके साथ ही रूस की स्पेस एजेंसी ने स्पेसक्राफ्ट के लूना-25 के क्रैश होने की सटीक जानकारी दी है। रोस्कोमोस का कहना है कि चांद पर प्री लैंडिंग के दौरान इंजन के बंद न होने से लूना-25 क्रैश हो गया था। 

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