Maoist Encounter: गुरिल्ला युद्ध में दक्ष माओवादियों को उनकी अघोषित राजधानी में सुरक्षा बलों ने कैसे दी पटखनी?

By Surya Prakash Tripathi  |  First Published Apr 3, 2024, 3:39 PM IST

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले में सिक्योरिटी फोर्सेज ने ऑपरेशन क्लीन के तहत 13 माओवादियों को मार गिराया है। इनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं। इसके लिए 8 घंटे तक ऑपरेशन चलाया। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नक्सलियों का लाल गलियारा कहे जाने वाले बीजापुर के जंगल में सुरक्षा बलों की यह इस साल की सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले में सिक्योरिटी फोर्सेज ने ऑपरेशन क्लीन के तहत 13 माओवादियों को मार गिराया है। इनमें 3 महिलाएं भी शामिल हैं। इसके लिए 8 घंटे तक ऑपरेशन चलाया। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नक्सलियों का लाल गलियारा कहे जाने वाले बीजापुर के जंगल में सुरक्षा बलों की यह इस साल की सबसे बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। सवाल यहां यह उठ रहा है कि गुरिल्ला युद्ध में दक्ष ये नक्सली अपने ही अभेद्य किले में कैसे घिर कर मौत की नींद सो गए। 

 

8 घंटे चली मुठभेड़ में मारे गए 13 माओवादी
पुलिस महानिरीक्षक पी सुंदरराज ने बताया कि बीजापुर में गंगालूर थाना क्षेत्र के लेंड्रा और कोरचोली गांवों के बीच जंगल में 2 अप्रैल को सुबह करीब 6 बजे मुठभेड़ शुरू हुई थी। गंगालूर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत मुडवेंडी गांव के पास IED की चपेट में आने से CRPF 202वीं बटालियन का एक कोबरा कमांडो घायल हो गया। मारे गए नक्सलियों की अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है, लेकिन वे माओवादियों की पीएलजीए (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) कंपनी नंबर 2 से जुड़े लग रहे हैं। CRPF, STF और कोबरा की संयुक्त टीमों ने बीजापुर जिला रिजर्व गार्ड के नेतृत्व में यह ऑपरेशन चलाया। खुफिया तंत्र ने सिक्योरिटी फोर्सेज को कुख्यात माओवादी नेता पापा राव की बीजापुर के जंगल में मौजूद होने की खबर दी थी। उसी आधार पर ये ऑपरेशन शुरू किया गया था। 

 

भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद बरामद
मुठभेड़ स्थल की तलाशी के दौरान सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया। जिसमें एक LMG, एक .303 बोर राइफल और एक 12 बोर राइफल के साथ बड़ी मात्रा में BGL गोले और लॉन्चर शामिल थे। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले  नक्सलियों ने बड़े हमले का प्लान बनाया था, जिसे सिक्योरिटी फोर्सेज ने ध्वस्त कर दिया था। जिससे नक्सली बौखलाए हुए थे। जब तलाशी अभियान शुरू किया गया तो नक्सलियें ने जवानों पर हमला कर दिया। बीजापुर जिला बस्तर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां 19 अप्रैल को आम चुनाव के पहले चरण में मतदान होगा।

 

पतझड़ में ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं नक्सली
बीजापुर के जिस घनघोर जंगली क्षेत्र में लोग जाने से डरते थे। खसकर पतझड़ में तो इन जंगलों की तरफ मूविंग के लिए विशेष सतर्कता बरती जाती थी, क्योकि  सिक्याेरिटी फोर्सेज का दावा है कि पतझड़ आते ही नक्सिलयों का गिरोह ज्यादा आक्रामक हो जाता है। इस बार तो उनके अधिक आक्रामक होने की वजह लोकसभा चुनाव भी है। इस लोकसभा चुनाव में लाल  सलाम के खतरनाक मंसूबे के इनपुट पहले ही इंटेलीजेंस ने सिक्योरिटी फोर्सेज तक पहुंचा दी थी। 

 

अब तक 43 माओवादी हो चुके ढेर, 181 गिरफ्तार 
सिक्याेरिटी फोर्सेज की इतनी बड़ी सफलता के पीछे कोई एक दिन की या अचानक की मुठभेड़ नहीं बल्कि लंबे समय से चल रही तैयारी का नतीजा है। क्योकि माओवादियों की अघोषित राजधानी कहे जाने वाले बीजापुर के गंगालूर इलाके के सुदूर जंगलों में सिर्फ उनकी सरकार चलती है। यहां के दर्जनों गांवों में सिर्फ माओवादियों का ही फरमान माना जाता है। सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के ही गढ़ में अपना स्लीपर सेल तैयार कर लिया। इन स्लीपर सेलों के जरिए ही सुरक्ष एजेंसियों को जो इनपुट मिले उसके अनुसार तैयारी करके माओवादियों पर चौतरफा अटैक किया गया। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक इस साल अब तक 43 माओवादियों को मुठभेढ़ में ढेर किया जा चुका है। 181 को अरेस्ट किया जा चुका है और 120 ने सरेंडर कर दिया है। 

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