mynation_hindi

अमेरिका का सीधा आरोप, हिंसक आतंकी संगठनों को संयुक्त राष्ट्र के बैन से बचा रहा चीन

Team MyNationPublished : Mar 28, 2019 10:37 AM

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, 'दुनिया मुसलमानों के प्रति चीन के शर्मनाक पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक तरफ चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों पर अत्याचार करता है, वहीं दूसरी तरफ हिंसक इस्लामी आतंकी संगठनों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है।’

अमेरिका ने मुस्लिमों और आतंकवाद को लेकर चीन पर दोहरा रवैया अपने का सीधा आरोप लगाया है।   अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा है कि चीन एक तरफ अपने यहां लाखों मुसलमानों का उत्पीड़न करता है लेकिन दूसरी तरफ हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से ‘बचाता’ है।    

पोम्पियो का इशारा चीन के उस कदम की ओर था जब उसने इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के सरगना हाफिज सईद को 'वैश्विक आतंकवादी' घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में अडंगा डाल दिया था। 

पोम्पिओ ने मसूद अजहर का नाम लिए बिना ट्वीट किया, 'दुनिया मुसलमानों के प्रति चीन के शर्मनाक पाखंड को बर्दाश्त नहीं कर सकती। एक ओर चीन अपने यहां लाखों मुसलमानों पर अत्याचार करता है, वहीं दूसरी ओर वह हिंसक इस्लामी आतंकवादी समूहों को संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों से बचाता है।’

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव रखा था, जिस पर चीन ने रोक लगा दी थी। चीन ने दलील दी थी कि उसे इस विषय पर अध्ययन करने के लिये और समय चाहिए। चीन को छोड़कर सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य देशों ने प्रस्ताव को स्वीकार किया था। 

पोम्पिओ ने आरोप लगाया कि चीन अप्रैल 2017 से शिनजियांग प्रांत में नजरबंदी शिविरों में 10 लाख से ज्यादा उइगरों, कजाखों और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों को हिरासत में ले चुका है। उन्होंने कहा, 'अमेरिका उन सभी परिवारों के साथ खड़ा है। चीन को हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करना चाहिए और उनके दमन को रोकना चाहिए। 

पोम्पिओ ने बुधवार को शिनजियांग में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ चीन के 'दमन और हिरासत अभियान' से बचने वालों और उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा, 'मैं चीन से इन नीतियों को समाप्त करने और मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को छोड़ने की अपील करता हूं।' (इनपुट पीटीआई से)