पहले की नीतीश को लुभाने की कोशिश: मिला करारा जवाब तो पलट गए कांग्रेसी नेता

By Anshuman AnandFirst Published May 17, 2019, 4:18 PM IST
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लोकसभा चुनाव के छह चरण खत्म हो चुके हैं और बस सातवां और आखिरी चरण बाकी है। कांग्रेस अच्छी तरह समझ चुकी है कि इस चुनाव में उसके लिए ज्यादा उम्मीदें बची हुई नहीं हैं। इसलिए वह जेडीयू जैसे क्षेत्रीय दलों पर डोरे डाल रही है। लेकिन उसकी इस कोशिश पर भी पानी फिर गया।  
 

पटना: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक तरह से मान चुकी है कि उसके पास सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं आने जा रहा है। इसलिए सातवें चरण का मतदान संपन्न होने से पहले ही वह आगे की जोड़ तोड़ की कोशिशों में जुट गई है। लेकिन उसकी यह कोशिशें भी सफल होती हुई नहीं दिख रही हैं। 

बुधवार यानी 15 मई को पटना पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ‘नीतीश कुमार कुछ मजबूरी के कारण एनडीए में गए। नीतीश कुमार जैसे कुछ और लोग भी हैं, जिनकी विचारधारा बीजेपी से नहीं मिलती है। गुलाम के मुताबिक, 'कुछ लोग या सत्ता पाने या फिर किसी मजबूरी के कारण बीजेपी के साथ हैं। शायद इन दोनों कारणों में से कोई एक कारण है जो नीतीश कुमार सरीखे नेताओं को बीजेपी से जोड़े रखा है। अगर दूसरी पार्टियां भी इन जरूरतों को पूरा करती है तो उन पार्टियों को स्थान बदलने में दिक्कत नहीं आएगी।

Ghulam Nabi Azad, Congress in Patna, Bihar: We have already made our stand clear. If a consensus is made in the favour of Congress, then party will take the leadership but our aim has always been that NDA govt shouldn't come. We will go with the unanimous decision. (15.05.2019) pic.twitter.com/TLJGHQQzd7

— ANI (@ANI)

कांग्रेस नेता ऐसा कहकर एक तीर से दो निशाना साध रहे थे। एक तो वह बहुमत नहीं पाने की स्थिति में कांग्रेस के लिए सहयोगी तैयार कर रहे थे। वहीं दूसरी तरफ एनडीए के पुराने सहयोगी को तोड़कर पीएम मोदी के खेमे में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे थे। 

लेकिन उनकी कोशिशों पर तब पानी फिर गया जब जेडीयू के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद के.सी.त्यागी ने ने उन्हें करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जदयू एनडीए का सबसे भरोसेमंद साथी है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमारे सारथी हैं और युद्ध के बीच में सारथी नहीं बदले जाते हैं, ये लोगों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद कोई जदयू के प्रवक्ता तो हैं नहीं जो इस तरह की बातें करते हैं। उन्होंने दावा किया कि केंद्र में एक बार फिर पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए की नई सरकार बनेगी और जदयू भी उसमें हिस्सेदार रहेगी।

जदयू नेताओं की तरफ से इस तरह का करारा जवाब मिलते ही कांग्रेस ने सुर बदल लिए और गुलाम नबी आजाद ने अपने पहले के बयान का खंडन करते हुए कहा कि यह सच नहीं है कि कांग्रेस सरकार बनाने का दावा नहीं करेगी या प्रधानमंत्री पद के लिए इच्छुक नहीं है। निश्चित रूप से हम सबसे बड़े और सबसे पुराने राजनीतिक दल हैं। 

Ghulam Nabi Azad, Congress: No, this is not true that Congress will not claim or Congress is not interested in Prime Minister post. Of course we are the biggest and oldest political party. If we have to run the govt for five years biggest political party should be given a chance. pic.twitter.com/g31TFMHtJc

— ANI (@ANI)

हालांकि गुलाम नबी ने पहले कहा था कि अगर नीतीश कुमार जैसे लोग चाहें तो देश में एक गैर-भाजपा वाली सरकार बन सकती है। जिसके लिए कांग्रेस प्रधानमंत्री पद को लेकर कोई मुद्दा नहीं बनाएगी। 

यानी आजाद ने साफ तौर पर नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का लालच दे रहे थे। लेकिन जेडीयू उनके झांसे में नहीं फंसी। जिसकी वजह से उन्हें अपना बयान बदलना पड़ा। 

 68 साल के नीतीश कुमार 2005 से बीजेपी के साथ गठबंधन बनाकर बिहार में शासन चला रहे हैं। हालांकि 2013 में उन्होंने बीजेपी से खुद को अलग कर लिया था। लेकिन एक साल बाद ही उन्होंने बीजेपी से फिर गठबंधन कर लिया। बीजेपी ने भी समझौता करते हुए उन्हें बिहार में आधी सीटें दी हैं। हालांकि 2014 के चुनाव में जेडीयू ने मात्र दो ही सीटें जीती थीं।  जेडीयू के पास बिहार में 15 फीसदी का पक्का वोट बैंक है जो कि वहां उसकी जीत में अहम भूमिका निभाता है। 

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