जाने कैसे.. सज्जन कुमार की नई साल की पहली सुबह कटेगी जेल में

By Team MyNation  |  First Published Dec 31, 2018, 11:51 AM IST

 सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में उम्र कैद की सजा पाने वाले कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील पर विंटर वेकेशन के दौरान 31 दिसंबर से पहले सुनवाई की संभावना नहीं है। 

पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता सज्जन कुमार की नए साल की पहली सुबह जेल की कोठरी में कटेगी। आज सज्जन कुमार को कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। हालांकि कुमार ने कोर्ट में सरेंडर करने के लिए समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने सीधे मना कर दिया। लिहाजा अब महज कुछ ही घंटों के बाद शुरू होने वाले नए साल की पहली सुबह जेल में होगी। 

दिल्ली हाईकोर्ट से उम्रकैद की सजा पाने के बाद आज सज्जन कुमार कड़कड़डूमा कोर्ट में दोपहर दो बजे समर्पण करेंगे। हाईकोर्ट ने उनके सरेंडर की समय सीमा बढ़ाने के उनके अनुरोध अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद उनके पास सरेंडर करने के लिए आज तक का ही वक्त बचा है। सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में उम्र कैद की सजा पाने वाले कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील पर विंटर वेकेशन के दौरान 31 दिसंबर से पहले सुनवाई की संभावना नहीं है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट एक जनवरी तक बंद है और दो जनवरी से वहां सामान्य कामकाज शुरू होगा।

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ऐसा माना जा रहा है कि जेल में सरेंडर करने के बाद अगले तीन दिन में वह सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 1984 के दंगों से जुड़े एक मामले में 17 दिसंबर को 73 वर्षीय पूर्व सांसद सज्जन कुमार को बाकी बची जिंदगी के लिए उम्र कैद और पांच अन्य दोषियों को अलग-अलग अवधि की सजा सुनाई थी। अपनी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिख दंगों को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी और कहा था कि  ये अकल्पनीय पैमाने का नरसंहार था और यह मानवता के खिलाफ उन लोगों द्वारा किया गया अपराध था, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।

हालांकि इसके बाद सजा पाने के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। क्योंकि भाजपा और अन्य राजनैतिक दल कांग्रेस पर सीधे तौर पर इस दंगे के लिए आरोप लगा रहे थे। दिल्ली विधानसभा में तो आप ने राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने को लेकर तथाकथित तौर पर प्रस्ताव भी पास कर दिया था। हालांकि बाद में केजरीवाल सरकार ने इस पर किसी तरह का प्रस्ताव के दावे को खारिज किया था। 

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