राजस्थान में गहराया संवैधानिक संकट, विधानसभा अध्यक्ष ने सत्र बुलाने में जताई असमर्थता

By Team MyNation  |  First Published Jan 10, 2019, 2:10 PM IST

राजस्थान विधानसभा 14 वीं विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने 15वी विधानसभा का सत्र 15 जनवरी से बुलाए जाने पर असमर्थता जताई है जयपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 14 वीं विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने साफ कहा कि वर्तमान में 15 जनवरी का सत्र बुलाया जाना संभव नहीं है.

जयपुर से देवेन्द्र सिंह की रिपोर्ट

राजस्थान विधानसभा 14 वीं विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने 15वी विधानसभा का सत्र 15 जनवरी से बुलाए जाने पर असमर्थता जताई है जयपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 14 वीं विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने साफ कहा कि वर्तमान में 15 जनवरी का सत्र बुलाया जाना संभव नहीं है. इसके लिए सरकार ने राज्यपाल को जो सूचनाएं भेजी हैं और सूचनाएं राज्यपाल की ओर से विधानसभा आहूत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए सुरक्षा तैयारियों व अन्य इंतजामों के लिए 21 दिन की अनिवार्यता नहीं अपनाई गई है.

राजस्थान विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने राजस्थान सरकार के लिए एक नया संकट खड़ा कर दिया है. संभवत राजस्थान में यह पहली बार हुआ है कि विधानसभा अध्यक्ष ने राज्यपाल की ओर से नई विधानसभा के गठन को लेकर शुरू किए जाने वाली प्रक्रिया को शुरू करने में असमर्थता जताई है. जिसके कारण संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है. असल में 15 वीं विधानसभा सत्र आहूत होने से पूर्व विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर और विधायकों को शपथ दिलाई जाने संबंधी प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है. उसके बाद से ही विधानसभा अध्यक्ष की नियुक्ति वह सरकार के बहुमत की प्रक्रिया शुरू होती है. लेकिन राज्य विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल द्वारा 15 जनवरी को सत्र बुलाए जाने में असमर्थता जताई है.

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल को 12 दिसंबर 2018 के बाद विधायकों के चयन की सूचना देरी से भेजी गई, जिसके चलते जनवरी की 8 तारीख को राज्यपाल कार्यालय की ओर से नए विधानसभा सत्र प्रोटेम स्पीकर और के चयन की प्रक्रिया को शुरू करने का निर्धारित समय जो 21 दिन नहीं होने के कारण वह मौजूदा सत्र को बुलाए जाने में असमर्थ है. बहरहाल राजस्थान में वर्तमान में कांग्रेस की सरकार है और अन्य घटक दलों के साथ मामूली बहुमत से सरकार का गठन किया गया है. ऐसे में प्रोटेम स्पीकर और विधायकों के शपथ के बगैर नई सरकार के कामकाज व विधान सभा द्वारा उसकी वैधानिकता पर नए सवाल खड़े हो गए हैं. हालांकि कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र इसे राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं कांग्रेसी नेताओं का दबी जबान में कहना है कि यह सब विपक्ष के इशारे पर किया जा रहा है.

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