धनखड़ ने लिखा है कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, राज्यपाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद ने पहले ही वेतन में कटौती की है। पीएम, सांसद, केंद्रीय मंत्रियों ने एक साल के लिए 30% वेतन में कटौती की है। वहीं राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और गवर्नर भी एक साल के लिए 30% वेतन में कटौती करने का फैसला किया है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच वेतन कटौती को लेकर विवाद बढ़ गया है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और राज्य के मंत्रियों को वेतन कटौती कर आपदा कोष में सहयोगी देने की सलाह दी है। राज्य ने कहा कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, राज्यपालों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद ने पहले ही वेतन में कटौती की है। ताकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए आर्थिक मदद दी जा सके और जरूरी उपकरणों को खरीदा जा सके।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उनके मंत्रिपरिषद और विधायकों से केंद्र सरकार की तरह आर्थिक सहयोग देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सीएम, मंत्रियों और विधायकों को एक साल के लिए वेतन कटौती करनी चाहिए। धनखड़ ने ट्वीट किया कि सरकार को कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए विधायक और मंत्रियों को अपने वेतन में कटौती करनी चाहिए।
धनखड़ ने लिखा है कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, राज्यपाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मंत्रिपरिषद ने पहले ही वेतन में कटौती की है। पीएम, सांसद, केंद्रीय मंत्रियों ने एक साल के लिए 30% वेतन में कटौती की है। वहीं राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और गवर्नर भी एक साल के लिए 30% वेतन में कटौती करने का फैसला किया है। हालांकि 31 मार्च को ही राज्य की सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि वह बंगाल के सीएम के तौर पर कोई वेतन नहीं लेते है। धनखड़ के राज्य के सीएम ममता बनर्जी के साथ अच्छे संबंध रहे हैं।
हालांकि उन्होंने राज्य सरकार को ये सलाह देकर एक बार फिर विवाद को जम्न दे दिया है। वहीं धनखड़ ने पिछले हफ्ते ही मुख्यमंत्री के आपातकालीन राहत कोष में 10 लाख रुपये और प्रधानमंत्री राहत कोष में 5 लाख रुपये का योगदान दिया था। वहीं ममता बनर्जी ने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष और राज्य आपातकालीन राहत कोष में 5-5 लाख रुपये का सहयोग दिया था। गौरतबलब है कि राज्य में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। राज्य सरकार अकसर राज्यपाल की सलाहों को दरकिनार करती है।